बालू ठेके पर सुप्रीम कोर्ट गयी हुकूमत

बालू पॉलिसी के नफाज़ के लिए खान और ज़मीन अनासिर महकमा ने सुप्रीम कोर्ट की पनाह ली है। खान और भूतत्व महकमा ने अदालत में एक अर्ज़ी दायर कर पॉलिसी में झख बरतने की मांग की है। इसके लिए अफसरों की टीम तशकील की गयी है, जो अदालत के हुक्म पर अमल करेगी। इस साल रियासत हुकूमत ने सुप्रीम कोर्ट के हुक्म पर ही बालू पॉलिसी बनायी है। इसी पॉलिसी की बुनियाद पर रियासत के बालू घाटों का ठेका किया जाना है। अफसरों ने बताया कि नयी बालू पॉलिसी का अमल करने में इस साल परेशानी आ रही है।

सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी गयी है कि बाज़ क़वानीन में झुख दी जाये, ताकि नवंबर में बालू घाटों का ठेका अमलदार आमद हो सके। दिसंबर तक हर हाल में ठेका अमल पूरी कर लेनी है। जनवरी, 2014 से बालू घाटों से बालू की निकासी नयी पॉलिसी के मुताबिक ही किया जाना है। नयी पॉलिसी में कानकुनी मंसूबा, महौलीयात सफाई सर्टिफिकेट की अमल पूरा करने में महकमा को वक़्त लग रहा है।

रियासत हुकूमत से ही इजाजत लेने की मांग
महकमा ने सुप्रीम कोर्ट से मर्कज़ के बजाय रियासत हुकूमत से ही इजाजत लेने की मांग की है। ठेकेदारों को 90 दिनों के अंदर कानकुनी मंसूबा बना कर देना है। इससे पहले उन्हें महौलीयात सफाई सर्टिफिकेट भी लेना होगा। पांच से 50 हेक्टेयर के दरमियान रियासत सतही कमेटी से 90 दिनों, 50 हेक्टेयर से ज़्यादा होने पर महौलीयात और जंगल वुजरा से 120 दिनों में सर्टिफिकेट महकमा को देना होगा।

ज़ाती महकमा अमल में ताखीर होने पर यह मुद्दत ज़्यादातर एक-दो महीने के लिए इजाफे की तजवीज है। ठेका लेनेवालों को महकमा से रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा। जिला अहलकार, पुलिस सुप्रीटेंडेंट या डिवीज़नल मजिस्ट्रेट के सतह पर कैरेक्टर सर्टिफिकेट देना होगा, जिसमें मुस्तकिल और आरजी पता भी लाज़मी है। काफी गौर के बाद महकमा ने तय किया कि सुप्रीम कोर्ट के हुक्म के मुताबिक अगर तमाम क़वानीन का अमल किया जाये, तो इस साल मुमकिन नहीं है। इसलिए अगर अदालत इजाजत देती है, तो एक साल के लिए ठेका होगा और उसके बाद नयी पॉलिसी से ठेका किया जायेगा।