नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि भारत का लक्ष्य इकनोमिक पावर बनने का है, लेकिन जब तक देश में लाखों बच्चों का शोषण होता रहेगा तब तक यह सपना पूरा नहीं हो सकता।
बाल मजदूरी के खिलाफ अभियान चलाने वाले सत्यार्थी ने मजदूर दिवस के अवसर पर बाल मजदूरी वाले कानूनों का कड़ाई से लागू करने की अपील करते हुए कहा कि बच्चों की दासता की स्लेट पर कभी भी इकनोमिक पावर की इबारत नहीं लिखी जा सकती।
उन्होंने कहा कि 1986 का बाल मजदूर कानून अपनी सभी खामियों के साथ अब भी मौजूद है और मालिक उसका इस्तेमाल बाल मजदूरों का शोषण करने के लिए करते हैं। उन्होंने कहा, ‘इस कानून में कहा गया है कि 14 वर्ष तक के बच्चों से काम नहीं कराया जाएगा, लेकिन इसमें 15 से 18 वर्ष की उम्र के बीच के बच्चों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।
सत्यार्थी के एनजीओ ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ ने 1980 से लेकर अब तक 80757 बाल और बंधुआ मजदूरों को छुडाया है।