नई दिल्ली: जब लोगों की तरफ से चुने नुमाइंदे या बेहतर लफ़्ज़ों में कहें तो जनता के नौकर के हाथ अपने मालिक के गिरेबां तक पहुँचाने लगें तो उसको सबक सिखाना जरूरी हो जाता है। देश में आज के हालात भी यही कह रहे हैं। 2014 में लोगों के आगे हाथ फैला फैला कर वोटों की भीख मांगने वाले नेता आज उन्हीं लोगों को कभी कुत्ता तो कभी देशद्रोही बता रहे हैं। लेकिन मालिक तो मालिक ही होता है आज जिसने इस नौकर को सिर पर बिठा लिया है कल उसे ज़मीन पर पटक देने में भी देर नहीं लगाएगा।
मालिक जिसे हम पब्लिक या आवाम कहकर भी बुलाते हैं ने आज दिल्ली की सड़कों पर उतरकर ताजा चल रहे जेएनयू विवाद के खिलाफ सरकार या यूँ कहें कि अपने नौकरों के खिलाफ जमकर विरोध किया है। बिंटू उम्मीद करता है कि अगली बार लोग सोच समझ कर वोट देंगे और इस नौकर को उसकी असल जगह दिखाएंगे।