बिजली संकट से जूझ सकता है देश, यह है वज़ह!

ऊर्जा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में वित्‍त वर्ष 2017 में 17,183 मेगावाट बिजली की मांग थी जबकि सप्‍लाई की गई 15,501 मेगावाट बिजली सप्‍लाई की गई। अगर 50 हजार मेगावाट बिजली की शॉर्टेज होती है तो इससे यूपी के बराबर बिजली की मांग वाले 3 राज्‍य अंधेरे में डूब जाएंगे।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कर्ज में डूबीं 34 बिजली क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को 180 दिन का समय दिया था। वह 27 अगस्‍त 2018 को खत्‍म हो गया है। अब सिर्फ 15 दिन शेष हैं। इस मियाद में कर्ज में डूबीं कंपनियों को अपना लोन अकाउंट क्‍लीयर करना है या समाधान उपलब्‍ध कराना है।

ब्‍लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा न होने पर मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्‍यूनल (NCLT) के पास चला जाएगा। फिर एनसीएलटी बैंकों को इसका हल निकालने को कहेगा। हालांकि बैंक इस मामले को बाहर ही निपटा देना चाहते हैं क्‍योंकि मामला एनसीएलटी के पास जाने से उन्‍हें भी नुकसान होगा।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय इस संकट के समाधान के लिए रिजर्व बैंक से बातचीत कर सकती है। समाचार एजेंसी के मुताबिक इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश के तहत मंत्रालय आरबीआई से परामर्श करेगा।

अदालत ने निजी बिजली कंपनियों को आरबीआई के एनपीए पर 12 फरवरी के आदेश से कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। 8-9 चालू बिजली परियोजनाएं इलाहबाद उच्च न्यायालय के फैसले से प्रभावित होंगी।