बिन ब्याही मां के बच्चों को भी मिलेगा पासपोर्ट

मुंबई. मुल्क में लिविंग रिलेशन को कानूनी मंज़ूरी मिल चुकी है. ऐसे में क्या अकेले रहने वाली खातून के बच्चे को पासपोर्ट से मरहूम रखा जा सकता है?

पीर के रोज़ बॉम्बे हाईकोर्ट ने पासपोर्ट से मुताल्लिक कई दरखास्तों पर सुनवाई के दौरान यह सवाल किया. इन दरखास्तों में पासपोर्ट के उस नियम पर ऐतराज़ जताया गया है जिसके तहत बच्चों को अपने biological father का नाम लिखना लाज़मी किया गया है.

दरखास्त में कोर्ट से गुजारिश किया गया है कि वह कुछ ऐसे गाइडलाइंस जारी करे जिनका पासपोर्ट महकमा अमल करे. सुनवाई के दौरान जस्टिस वीएम कानडे की बेंच को बताया गया कि दो बालिग लड़कियों को पासपोर्ट जारी कर दिया गया है. लेकिन एक बिन ब्याही मां की चार साल की बच्ची के नाम पर पासपोर्ट जारी नहीं किया गया है. पासपोर्ट अथॉरिटी बच्ची के बाय्लोजिकल फादर का नाम लिखने पर जोर दे रहा है.

इस पर बेंच ने कहा कि अकेली रहने वाली खातून के बच्चे को कैसे पासपोर्ट से मरहूम किया जा सकता है.

बेंच ने कहा कि पासपोर्ट आफिस में काम मरने मुलाज़्मीन के लिए रहनुमाई का काम करनेवाले नियम पुराने हो चुके हैं. इसमें नए फैसलों को शामिल नहीं किया है.पासपोर्ट अथॉरिटी की ओर से पैरवी कर रही वकील ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसलों की बुनियाद पर दरखास्तगुज़ार की तरफ से बाय्लोजिकल फादर का नाम लिखने की लाज़मी नियम में बदलाव हुए हैं. सभी फरीको को सुनने के बाद बेंच ने दरखास्तगुज़ार के वकील राजू मोरे को पासपोर्ट से जुड़ी आम परेशानियों की फहरिस्त देने को कहा ताकि वे मरकज़ के सामने यह सवाल रख सकें.