‘आइडिया’ और ‘वोडाफ़ोन’ के विलय का फायदा ‘एवीबीरला ग्रुप’ को हुआ न की ‘वोडाफ़ोन’ को, यह कहना है अग्रणी प्रॉक्सी सलाहकार फर्म ‘इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज इंडिया लिमिटेड’ (आईआईएएस) का।
यह विलय ‘एवीबीरला ग्रुप’ के पक्ष में है जिसे अपेक्षाकृत छोटे होने के बावजूद बराबर के वोटिंग अधिकार प्राप्त हुए हैं और साथ में ‘वोडाफ़ोन’ से पूर्व निर्धारित मूल्य पर इक्विटी खरीदने का विकल्प भी प्राप्त हुआ है। ‘एवीबीरला ग्रुप’ को बोर्ड की अध्यक्षता भी मिली है। इन सभी कारणों से ‘वोडाफ़ोन पीएलसी’ के शेयरधारकों को चिंतित होना चाहिए, आईआईएएस अनुसंधान ने कहा।
हाल ही में हुए ‘आइडिया-वोडाफ़ोन’ विलय की घोषणा के बाद भारत में सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी बनेगी जो सीधे ‘जिओ’ और ‘एयरटेल’ जैसी प्रतिस्पर्धाओं को चुनौती देगी जो फिलहाल सबसे आगे हैं।
इस नयी कंपनी का इक्विटी मूल्यांकन 94,600 करोड़ रुपये किया गया है। यह ‘आदित्य बिरला (ए.वी. बिर्ला) ग्रुप’ को एक लाभप्रद स्तिति मे ले जाएगी और ‘वोडाफ़ोन पीएलसी’ को अब अपनी बैलेंस शीट में भारतीय कारोबार को संघठित करके नहीं दिखाना पड़ेगा।
अनुसन्धान के अनुसार, ‘वोडाफ़ोन” के साथ इस विलय मे अधिक फायदा ‘आईडिया सेलुलर’ को हुआ है । हलाकि तर्क दिया जा सकता है की अंतर काम हो रहा है, ‘वोडाफ़ोन” को इस विलय मे एक मज़बूत स्थिति में होना चाहिए था । ‘आईडिया’ को बराबरी का दर्जा देते हुए ‘वोडाफ़ोन’ को प्रीमियम और बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण की व्यवस्था करनी चाहिए थी परंतु विलय की रूप रेखा से पता चलता है की यह ‘आईडिया सेलुलर’ के लिए एक अधिक फायदे का सौदा है ।