बिहार। अपना इस्तीफा देकर बिहार की राजनीति में भूचाल लाने वाले नीतीश कुमार की राह भविष्य में आसान नहीं है। कुर्सी की चाहत में उन्होंने भले ही महागठबंधन को तोड़ दिया हो, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके सामने कड़ी चुनौतियां पेश आ सकती हैं, जो उनकी राजनीतिक दिशा तय करने में बड़ी भूमिका अदा करेंगीं।
2014 में हुए विधानसभा चुनाव में साम्प्रदायिकता के खिलाफ एकजुट होकर महागठबंधन बनाया गया था, जिसकी वजह से नीतीश को काफी संख्या में मुस्लिम वोट मिला था। बीजेपी के साथ दोबारा जाने से मुस्लिम वोटर दूर होगा, जो आने वाले समय में समीकरण बदल सकता है।
2005 में जब नीतीश ने बीजेपी से मिलकर सरकार बनाई थी तब उनका सत्ता में ज्यादा हिस्सा था। चूंकि अब समीकरण कुछ और हैं तो 2019 के आम चुनाव और 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी खुद बड़ा हिस्सा रखने का दावा कर सकती है।