खस्ता हाल गांधी सेतु के असली ऑप्शन कच्ची दरगाह-बिदुपुर महासेतु-छह लेन की तामीर पर रियासती हुकूमत 1800 करोड़ रुपए खर्च करेगी। सड़क तामीर महकमा के इस तजवीज को फाइनेंस महकमा ने बुध को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही तकरीबन साल भर से पुल तामीर शुरू करने के लिए चल रही अमल का पहला मरहला पूरा हो गया। यह बिहार की सबसे बड़ी पुल मंसूबा है।
इस पर 837 मिलियन डॉलर (करीब 5000 करोड़ रुपए) खर्च हाेंगे। 3200 करोड़ रुपए एशियन डेवलपमेंट बैंक लगाएगा। टेंडर अमल शुरू करने से पहले एडीबी की शर्त थी कि रियासती हुकूमत अपने हिस्से की 1800 करोड़ रुपए की मंजूरी दे। अब सड़क तामीर महकमा ने फरवरी में टेंडर करने का फैसला किया है। इस दरमियान कंसलटेंसी तकररूरी कर डीपीआर बनाया जाएगा।
इसके पहले मरकज़ के साथ मंजूरी नहीं बन पाने पर रियासती हुकूमत ने अपने सतह से इसी साल जनवरी में टेंडर किया था पर कोई एजेंसी आगे नहीं आई। तब रियासती हुकूमत ने एडीबी के लोन से पुल की तामीर की पहल शुरू की।
9.76 किलोमीटर लंबा होगा महासेतु
पटना सिटी के कच्ची दरगाह से वैशाली के बिदुपुर के दरमियान रियासत का पहला सिक्स लेन महासेतु बनेगा। गांधी सेतु से 12 किलोमीटर की दूरी पर ( मगरीब में ) बनेगा। कुल लंबाई 9.76 किलोमीटर।
ये होंगे फायदे
जुनूबी और शुमाली बिहार की दूरी कम होगी। गांधी सेतु पर बड़ी गाड़ियों का दबाव कम होगा और इसके दुबारा तामीर का रास्ता खुलेगा । वैसे दोनों तरफ दो सेतु कच्ची दरगाह-बिदुपुर महासेतु और दीघा रेल सह सड़क पुल के बन जाने के बाद गांधी सेतु पर सिर्फ छोटी गाड़ियों के चलाने की मंसूबा है।
‘मरकज़ की मंजूरी भी मिल चुकी है। रियासती हुकूमत ने भी अपने हिस्से के 1800 करोड़ रुपए देने को हरी झंडी दे दी है। अब फरवरी में टेंडर किया जाएगा।’
राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, सड़क तामीर वज़ीर