पटना, केंद्र सरकार ने विकास से जुड़ी 17 योजनाओं में केंद्रांश कम करने का फैसला लिया है। नीति आयोग के फैसले के आधार पर केंद्रीय वित्त सचिव ने राज्यों को इस आशय का पत्र भी जारी कर दिया है। इन 17 योजनाओं के लिए केंद्र सरकार अब 60 फीसदी ही धन राशि देगी, शेष राज्य सरकार को देना होगा। इस फैसले से बिहार में शौचालय निर्माण, आवास, मिड-डे मिल योजना, शिक्षा से संबंधित योजनाएं प्रभावित होंगी। राज्य सरकार ने शौचालय निर्माण की धनराशि में कटौती पर ऐतराज जताते हुए केंद्र को पत्र भेजा है। लिखा है कि राज्य सरकार इतना अधिक पैसा नहीं लगा पाएगी।
वित्त मंत्रालय व्यय विभाग भारत सरकार के सचिव रतन पी. वातल ने यह पत्र 28 अक्टूबर को जारी किया था, जो हाल में बिहार सरकार को मिला है। पत्र में राष्ट्रीय विकास के एजेंडा से जुड़ी 17 योजनाओं में केंद्र और राज्य का शेयर 60:40 किए जाने की बात लिखी गई है। पहले इन याजनाओं में केंद्रांश 70 से 90 फीसदी तक था। नार्थ ईस्ट के साथ ही तीन हिमालयी राज्यों में शेयर 90:10 का तय किया गया है।
उक्त योजनाओं में कृषि उन्नति योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना, स्वच्छ भारत अभियान (शहरी और ग्रामीण), राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना, नेशनल हेल्थ मिशन, नेशनल एजुकेशन मिशन, इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलेपमेंट सर्विसेज, इंटीग्रेटेड चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम, मिड-डे मिल प्रोग्राम, हाउसिंग फार आल (ग्रामीण व शहरी), नेशनल लाइवलीहुड मिशन (ग्रामीण व शहरी), वन एवं वन्यजीव (ग्रीन इंडिया मिशन, प्रोजेक्ट टाइगर और इंटीग्रेटेड डेवलेपमेंट आफ वाइल्ड लाइफ हेबीटेट्स), नेशनल रिज्यूवेंशन और स्मार्ट सिटी मिशन, मॉडर्नाइजेशन ऑफ पुलिस फोर्स तथा इंफ्रास्ट्रक्चर फेसिलिटिज फार ज्यूडिशरी शामिल है।
इन योजनाओं में केंद्र व राज्यांश 60:40 करने के साथ यह भी प्रावधान किया गया है कि उपरोक्त में से जिन योजनाओं में पहले से ही केंद्रांश इस तय मानक से कम है, वहां वही दर लागू रहेगी। बता दें कि उपरोक्त में से राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना में पहले से ही केंद्र तथा राज्य का शेयर 50:50 है। ऐसी स्थिति में इस योजना में केंद्रांश 60 फीसदी होने का लाभ राज्य को नहीं मिलेगा।
केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर 2015-16 का बजट है 57,137 करोड़
बिहार सरकार ने वर्ष 2015-16 में केंद्रीय सहायता सहित केंद्र प्रायोजित योजनाओं का अनुमानित व्यय 57137.62 करोड़ रखा है, जबकि कुल व्यय 1,20,685.32 करोड़ रुपए अनुमानित है।
केंद्र सरकार का पत्र मिला है। शौचालय निर्माण की योजना की धनराशि में कटौती के संबंध में पत्र भेजा गया है। लिखा गया है कि योजना बड़ी है, राज्य सरकार इतना अधिक पैसा नहीं लगा सकेगी। अन्य योजनाओं के संबंध में भी पत्र भेजा जाएगा।
अंजनी कुमार सिंह, मुख्य सचिव बिहार
केंद्रांश घटने से बिहार सरकार पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। एनडीए सरकार अर्थशास्त्री जगदीश भगवती की विचारधारा पर चल रही है। इस विचारधारा में सोशल सेक्टर पर कोई फोकस नहीं है, जबकि अमर्त्य सेन की विचारधारा में सोशल सेक्टर पर फोकस है। योजनाओं में केंद्रांश का कम किया जाना बिहार जैसे राज्यों के लिए ठीक नहीं है।
शैबाल गुप्ता, अर्थशास्त्री
शौचालय निर्माण में राज्य पर 3,500 करोड़ का अतिरिक्त भार
केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण में अपने योगदान को घटाने का जो फैसला किया है उसकी वजह से 2019 तक बिहार को खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त करने के लिए चल रही योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं। केंद्रांश घटने से इस योजना को पूरा करने में राज्य सरकार को 3,500 करोड़ अतिरिक्त धनराशि खर्च करनी पड़ेगी। नीति आयोग के इस फैसले के मुताबिक नए फार्मूले से स्वच्छ भारत अभियान के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शौचालय निर्माण में केंद्र और राज्य के अंश को 60 और 40 फीसदी किया गया है। अब तक इस योजना में केंद्र सरकार 75 फीसदी और राज्य सरकार 25 फीसदी धनराशि खर्च करती रही है।
बता दें कि प्रति शौचालय निर्माण को 12 हजार रुपए संबंधित परिवारों को दिए जाते हैं। इसमें से अब तक 9000 रुपए केंद्र और 3000 रुपए राज्य सरकार का अंश रहता है। नए आदेश के बाद केंद्र सरकार महज 7200 रुपए देगी और राज्य सरकार को प्रति शौचालय 4800 रुपए खर्च करने पड़ंेगे। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के मुताबिक बिहार को खुले में शौच से मुक्त राज्य बनाने के लिए 1.66 करोड़ शौचालय बनाए जाने हैं। 12 हजार रुपए प्रति शौचालय की दर से करीब 22 हजार करोड़ खर्च होंगे। केंद्रांश और राज्यांश 60:40 के अनुपात में होने की स्थिति में राज्य पर करीब 3,500 करोड़ का बोझ बढ़ेगा।