मरकज़ी हुकूमत ने कहा है कि बिहार को खुसुसि रियासत का दर्जा देने का मामला ज़ेरे गौर है। हुकूमत ने एमपी को यह जानकारी दी है। मंसूबा रियासती वज़ीर इंद्रजीत सिंह ने जुमेरात को राज्यसभा में एक सवाल के तहरीरी जवाब में बताया कि बिहार हुकूमत की तरफ से रियासत को खुसुसि दर्जा देने का एक और दरख्वास्त हाल ही में हुकूमत को मिला है। अपने जवाब में वज़ीर ने यह भी कहा कि इससे पहले फर्क वज़ारत कमिटी इस फैसले पर पहुंची थी कि क़ौमी तरक़्क़ी कोनसिल की तरफ से किए गए मेयार के तहत बिहार को खुसुसि रियासत का दर्जा नहीं मिल सकता है।
जदयू के रियासती सदर वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि एमपी में मंसूबा रियसती वज़ीर राव इंद्रजीत सिंह का बयान एक संजीदा मसले और एक गरीब रियासत की जरूरत को महज टालने वाला कोशिश है। अगर मर्कज़ की हुकूमत बिहार को खुसुसि रियासत का दर्जा देने की मांग पर अभी तक गौर ही कर रही है, तो इसका मतलब है कि वह हमारे साथ इंसाफ नहीं करना चाहती। अगर उनकी जहनियत साफ होती, तो वे आम बजट में ही इसका ज़िक्र कर देते। सीमांद्र को यह दर्जा एक झटके में दे दिया गया। फिर बिहारवासियों की सालों से जारी लड़ाई पर महज गौर करने की बजाय फैसला क्यों नहीं हो रहा है।
वजीरे आला जीतन राम मांझी ने बिहार की इक्तिदार संभालने के बाद मर्कज़ की मोदी हुकूमत खत लिखकर बिहार को खुसुसि रियासत का दर्जा देने की दरख्वास्त किया था। उनका तर्क था कि खुसुसि रियासत का दर्जा मिलता है, तो हमें मर्कज़ स्पोंसर मंसूबों में बिहार को कम रकम लगानी पड़ेगी। इससे रियासत के तरक़्क़ी के लिए हमारे पास ज़्यादा पैसा दस्तयाब हो सकेगा। इससे तरक़्क़ी की रफ्तार बढ़ेगी और कम वक़्त में हम क़ौमी औसत तक पहुंच सकते हैं। सरमायाकारों को टैक्स में छूट मिलने से लोग यहां कैपिटल लगाएंगे।