पटना : कुछ सियासी पार्टियों और रियासती हुकूमत की लंबे वक़्त से चली आ रही मांग को दरकिनार करते हुए मरकज़ी हुकूमत ने जुमा को कहा कि बिहार को खुसुसि रियासत का दर्जा नहीं दिया जायेगा। मरकज़ी मंसूबा रियासती वज़ीर राव इंद्रजीत सिंह ने लोकसभा में सवाल के दौरान मेंबरों के सवाल के जवाब में बताया, फिलहाल किसी रियासत को खुसुसि रियासत का दर्जा देने का कोई तजवीज नहीं है। खुसुसि मदद पर गौर किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि योजना आयोग के हिदायत के मुताबिक मरकज़ी हुकूमत दीगर किसी रियासत को खुसुसि रियासत का दर्जा नहीं दे सकता है। वह सवाल के दौरान मधेपुरा से एमपी राजेश रंजन की तरफ से पूछे गये सवाल का जवाब दे रहे थे। बिहार के वजीरे आला नीतीश कुमार काफी लंबे वक़्त से रियासत के लिए खुसुसि दर्जे की मुतालिबात कर रहे हैं। साबिक़ में जदयू , भाजपा की बिहार यूनिट, राजद और लोजपा भी इस मुतालिबात की हिमायत कर चुकी है। एक दीगर सवाल का जवाब देते हुए सिंह ने कहा कि अगर राजस्थान हुकूमत खुसुसि पैकेज की मुतालिबात को लेकर कोई तजवीज भेजती है, तो हुकूमत उस पर गौर कर सकती है। सिर्फ खास जमरे वाले रियासतों को ही साल 2014 -15 तक प्रोजेक्ट खुसुसि मंसूबा मदद (90 फीसद) और खुसुसि मरकज़ी मदद ग्रांट (100 फीसद) मुहैया कराया गया है।
बिहार में आधी से ज़्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे (53.5) जो क़ौमी औसत (29.8) से काफी ज़्यादा है। इस मामले में खुसुसि दर्जा हासिल 11 रियासतों में नौ की हालत क़ौमी औसत से बेहतर है। बिहार में फी सख्श आमदनी (13,632) क़ौमी औसत से (35,993) से काफी कम है। इस मामले में भी खुसुसि दर्जा वाले रियासतों में हिमाचल प्रदेश (47,106), सिक्किम (47,655), त्रिपुरा (37,216) व मिजोरम (36,732) क़ौमी औसत से आगे हैं। (जरिया : सीएसओ का डाटा, 2011)
रियासत के बंटवारे के बाद ज़्यादा से ज़्यादा इंडस्ट्री झारखंड चली गयीं। अभी बिहार में 0.4 फीसद मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं। हिमाचल, उत्तराखंड, असम, जम्मू एवं कश्मीर जैसे रियासत इस मामले में बिहार से काफी आगे हैं, जबकि बिहार के मुक़ाबले उनकी आबादी काफी कम है।