बिहार को नये फॉर्मूले से भारी घाटा : नीतीश

14वें फायनेंस कमीशन की सिफ़ारिश पर वजीरे आला नीतीश कुमार ने बुध को कहा कि इनसे बिहार को फायदा नहीं, बल्कि भारी घाटा होगा। 14वें फायनेंस कमीशन ने मरकज़ी टैक्स में रियासतों की हिस्सेदारी 32 फीसद से बढ़ा कर 42 फीसद तो कर दी है, जो रियासतों के हित में है। लेकिन, बैकवर्ड रिजन ग्रांट फंड (बीआरजीएफ) और मरकज़ी स्पोंसर मंसूबा (सेंट्रल स्‍पांर्स्‍ड स्कीम) को खत्म कर दिया जायेगा। इसे 10 फीसद जो बढ़ोतरी की गयी है, उसी में जोड़ कर दिया जायेगा और बीआरजीएफ व मरकज़ी स्पोंसर मंसूबा की रकम मिलनी बंद हो जायेगी। यह बिहार के साथ छलावा है।

असल में सभी को जोड़ दिया जाये, तो बिहार को फायदा होने की जगह नुकसान होगा। वजीरे आला ने कहा कि मैं इस पर पर दुबारा गौर के लिए वजीरे आला नरेंद्र मोदी को खत लिखूंगा। मरकज़ से हम पॉज़िटिव रिस्पांस की उम्मीद करते हैं। इसके बावजूद मरकज़ी हुकूमत नहीं मानी, तो बिहार हुकूमत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेगी। क्योंकि बिहार को मिलनेवाली खुसुशी मदद उसका कानूनी हक है। जल्दबाजी में कानून की मुखालिफत नहीं की जा सकती है।

वजीरे आला सेक्रेट्रिएट में मुनक्कीद प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश कुमार ने कहा, 14वें फायनेंस कमीशन की सिफ़ारिश पर वजीर आला का खत मुङो फैक्स से मिला है। मरकज़ी फायनेंस वज़ीर अरुण जेटली का फोन भी आया। उनका कहना था कि अब रियासतों की मसला दूर हो जायेगी। मरकज़ ने रियासतों के आमदनी की मसला को हल कर दिया है। मरकज़ी टैक्स में रियासतों की तरफ से 50 फीसद हिस्सेदारी की मुसलसल मांग होती रही थी। लेकिन, हालत इसके उलट है। नीतीश कुमार ने कहा, रियासतों को मंसूबा कमीशन और मरकज़ी की बुनियादी मंसूबों की रकम दी जाती थी। कई तरह के ग्रांट मिलते थे. बिहार तशकील कानून, 2000 कानून के तहत बीआरजीएफ के ज़रिये से रक़म मिलती थी. इस मद में मुल्क़ भर में दी जानेवाली रक़म का 30-32 फीसद हिस्सा मिलता था, लेकिन अब उसे बंद कर दिया जायेगा। यह रक़म कानून की बुनियाद पर बिहार को दी जाती थी। मरकज़ कोई एहसान नहीं कर रहा था। यह बिहार का हक है।