पटना 21 जून : बिहार में एनडीए के इंतेशार के बाद अब माहौल मुस्तहिक्म होने की तरफ बढ़ ही रहा था कि सबकी निगाहें अब लालू प्रसाद पर टिक गयी है। हजार करोड़ के “पशुपालन घोटाले” में अगले महीने की 15 तारीख को फैसला आने वाला है। इस पर राजद की धड़कन तो बढ़ ही गयी है दूसरी सियासी पार्टियों का कौतूहल भी कोई कम नहीं है।
पशुपालन घोटाले के 53 मुकदमों में से 44 में फैसला आ चुका है। पांच मुकदमों में लालू प्रसाद मुलजिम हैं। आरसी 20ए में अगले महीने रांची में सीबीआई की खुसूसी अदालत फैसला सुनाने वाली है। साबिक़ वजीर ए आला डॉ जगन्नाथ मिश्र भी इसमें मुलजिम हैं। ये तमाम मामले 1996 में दर्ज हुए थे। करीब 17 साल बाद सियासतदानों से वाबस्ता मुकदमों में अब फैसले की बारी है।
अदालत क्या फैसला देगी, यह तो 15 जुलाई को ही पता चलेगा। पर सीबीआई शुरुआती दिनों से ही आरसी 20ए को बेहद मजबूत केस बताती रही है। सीबीआई के मौजूदा ज्वाइंट डायरेक्टर यूएन विश्वास का कहना था कि सियासतदानों की मिलीभगत के पक्के सबूत हैं। सीबीआई उसकी कडिय़ों को जोडऩे के लिए हजारों दस्तावेजी सबूत पहले ही अदालत में पेश कर चुकी है। यह मामला झारखंड के चाईबासा ट्रेजरी से 37 करोड़ 70 लाख की गैर कानूनी इन्खेला से वाबस्ता है। ये पैसे साल 1994-95 में निकाले गये थे।