आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव और उनके मंत्री बेटों तेजस्वी और तेज प्रताप के खिलाफ बिहार पुलिस ने आरजेडी बंद मामले में FIR वापस लेने का फैसला किया है। पटना की जिला अदालत ने बुधवार को लालू, डिप्टी सीएम तेजस्वी, रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर तेज प्रताप और 263 आरजेडी कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला वापस लेने की अर्जी को मंजूरी दे दी। बीजेपी ने इसे लेकर सत्ताधारी आरजेडी और जेडीयू एलायंस पर हमला बोला है। बीजेपी नेता और सूबे के डिप्टी सीएम रह चुके सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को इल्जाम लगाया कि सूबे की हुकूमत आरजेडी के चीफ के दबाव में आकर ‘बड़े परिवार’ को खास अहमियत दे रही है।
बता दें कि 27 जुलाई 2015 को आरजेडी ने केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना के आंकड़े न जारी करने के मुखालफत मे बिहार बंद का प्रोग्राम किया था। लालू और बाकी लोगों पर पटना के उस वक्त के एसएसपी के ऑडर पर कोतवाली पुलिस थाने में केस दर्ज हुआ था। ये केस आईपीसी की धारा 147 यानी दंगे, 148 (गैरकानूनी ढंग से इकट्ठा होना), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 353 (सरकारी कर्मचारी को काम करने से रोकना) और अन्य संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया था। कोतवाली पुलिस ने इस मामले में सभी 265 लोगों के खिलाफ 13 अक्टूबर 2015 को चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद, कोर्ट ने आरोपियों को पेश होने के लिए तलब किया था।
बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ”जेपी आंदोलन में शामिल लोगों को छोड़कर मुझे ऐसा कोई मामला याद नहीं पड़ता जब राज्य सरकार ने राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामले वापस लिए हों। नीतीश कुमार की सरकार सुपर सीएम लालू प्रसाद के दबाव में काम कर रहे हैं। उन्होंने उस एकमात्र एफआईआर को वापस लेने का फैसला किया है, जिसमें लालू और उनके बेटों का नाम है। कोर्ट ने उन्हें पेशी के लिए बुलाया था। अगर वे वहां जाते तो राज्य सरकार के लिए शर्मिंदगी की वजह बनते।