पटना। केंद्र सरकार ने पटना मेट्रो प्रोजेक्ट को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। वर्ष 2013 से इस प्रोजेक्ट को लेकर राज्य सरकार प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार के पास इसकी डीपीआर व अन्य आवश्यक रिपोर्ट तैयार कर अंतिम रूप से दिसंबर, 2016 में ही भेज दिया गया है।
केंद्र के विभिन्न विभागों की ओर से इस प्रोजेक्ट को अनापत्ति प्रमाणपत्र दिये जाने की प्रक्रिया जारी थी। इसी बीच अब केंद्र सरकार ने राज्य को पत्र लिख कर सूचित किया है कि जब तक मेट्रो पॉलिसी तैयार नहीं हो जाती, तब तक किसी भी मेट्रो प्रोजेक्ट के प्रस्ताव की स्वीकृति नहीं दी जा सकती। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार के इस निर्णय से राज्य के इस प्रोजेक्ट को झटका लगा है।
अब राज्य सरकार की भूमिका समाप्त हो गयी है। अब केंद्र के ऊपर निर्भर करता है कि वह कब तक मेट्रो पॉलिसी तैयार करती है। इसके बाद ही पटना मेट्रो प्रोजेक्ट पर सहमति मिलने की संभावना है।
राज्य सरकार ने 18 जून, 2013 को संकल्प जारी करते हुए पटना मेट्रो प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी।
इसको लेकर आम नागरिकों का सुझाव भी आमंत्रित किया गया। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 16960 करोड़ अनुमानित है। प्रोजेक्ट को लेकर नगर विकास एवं आवास विभाग ने 28 जनवरी, 2015 को पटना मेट्रो इन्वेस्टर मीट का आयोजन किया। 20 मई, 2015 को इसका प्रेजेंटेशन मुख्यमंत्री के सामने किया गया।
राज्य कैबिनेट ने पटना मेट्रो प्रोजेक्ट को नौ फरवरी, 2016 को इसकी मंजूरी दी। प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार करने की जिम्मेवारी केंद्र सरकार की एजेंसी राइट्स की दी गयी थी। इसके लिए राइट्स को करीब तीन करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
राज्य सरकार ने केंद्र की ओर से मांगी गयी रैपिड असेसमेंट रिपोर्ट दिसंबर, 2016 के अंतिम सप्ताह में केंद्र को भेज दी थी। पटना मेट्रो प्रोजेक्ट पर केंद्र सरकार की रिपोर्ट फरवरी में मिलने की उम्मीद थी। अब तक इसके कॉरिडोर का निर्धारण किया जा चुका है।