शकील सागील की रिपोर्ट:
पूरबी चम्पारण: बिहार स्टेट मदरसा एजुकेशन बोर्ड बिहार के मुसलमानों को धार्मिक व आधुनिक शिक्षा प्राप्त कराने का एक मुख्य और ज़िम्मेदार संस्था है जिस से अनुलग्नक मदरसे के शिक्षक सरकारी रिआयत हासिल कर रहे हैं और बच्चे भी डिग्रियां हासिल करके रोज़गार से जुड़ रहे हैं.
शकील सागील की रिपोर्ट के मुताबिक़ 4 साल पहले 2012 में बोर्ड ने नये मदरसों के मान्यताओं के लिए अख़बारों में विज्ञापन दिया गया था, जिस में क्लास फौक़ानिया तक के मान्यता पत्र दने की फीस 8 हज़ार रूपये थी, उसी समय बिहार के सैंकड़ों मदरसों ने बोर्ड की फीस को ड्राफ्ट के तौर में जमा कराया, मगर फीस जमा लेकर बोर्ड के अधिकारी सो गये, पर मदरसे के अधिकारी बोर्ड के ओर से कोई पत्र और प्रतिनिधि के इन्क्वायरी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ है.
मदरसे के अधिकारी को यह खतरा लग रहा है कि कहीं उसकी जमा की गई फीस लम्बे इंतजार के बाद बर्बाद न हो जाए. फीस जमा करने वाले कुछ मदरसों ने बोर्ड से राबता किया तो उन्हें उसकी कीमत चुकानी पड़ी उन्हें फीस से 10 प्रतिशत ज़्यादा खर्च करके मन्यता पत्र हासिल करना पड़ा. लेकिन इस सच्चाई को कोई तय्यार करने के लिए राज़ी नहीं. लेकिन पिछले 4 सालों में फीस जमा करने वाले मदरसों की तलाश न करना उसकी बोर्ड के ज़रिये उसकी इन्क्वायरी न करवाना बोर्ड की लापरवाई, भ्रष्टाचारी और अनियमितता को दर्शाता है.
गौर तलब है कि इस सिलसिले में चकिया सब डिविजन में बुध्दिजीवियों की बैठक हुई जिसमें इसे मदरसों को मान्यता दिलाने के लिए मदरसा एजुकेशन बोर्ड से उम्मीद ज़ाहिर की गई.