बिहार में बच्चों की हालत ठीक नहीं

पटना 20 जून : बिहार में छह साल तक के बच्चों की हालत ठीक नहीं है। वे पैदाईश से ही गजाई किल्लत के शिकार होते हैं। हमल के दौरान वाल्दा को मुकम्मिल गज़ा नहीं मिलना इसकी अहम वजह है। बुध को बीआइए एडोटोरियम में बच्चों के तरक्की से मुताल्लिक मुख्तलिफ मसायल पर बहस की गयी। मौका था तश्खिस बिहार फोर्सेस की तरफ से ‘साबिक़ बालपन निगरानी और तरक्की’ मौजू पर मुन्क्किद वर्कशॉप का।

जहां प्रायवेट और सरकारी तंजीमों से आये माहेरिन ने सिफर से छह साल तक के बच्चों के तरक्की से जुड़ी बातों का जिक्र किया।

मंसूबों से हालत में बेहतरी

महकमा सेहत के प्रिंसिपल सेक्रेटरी व्यास जी ने कहा कि हमला और होनेवाले बच्चे की देख-रेख के लिए दिक सलामती वगैरह मनसूबे चल रही हैं। इससे देहि हमला ख्वातीन की हालत में बेहतरी आया है। प्लान इंडिया के रियासती मेनेजर तुषार कांति दास ने बताया कि बच्चों को गज़यी से बचाने के लिए सरकारी मंसूबो के साथ अमली तबदीली लाने की जरूरत है।

तश्खिस बिहार फोर्सेस की फाउंडर और कनवेनर संगीता सिंह ने बताया कि फोर्सेस अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड डेवलपमेंट पर काम कर रहा है। बिहार में अहम तौर पर पांच खामियां हैं। इनमें गज़ायत, अर्ली केयर एजुकेशन, ज़च्गी हुकूक, पालनाघर, सेहत और टीकाकरण और पैदाईश शरायत शामिल हैं। मौके पर बचपन बचाओ तहरीक के मुख्ताहरुल हक, प्रेमजी अजीज फाउंडेशन के मुकामी अफसर पल्लव कुमार, सेव द चिल्ड्रेन के राजे खान वगैरह मौजूद थे।