बिहार में बिना हेडमास्टर के 20000 मिडिल स्कूल

पटना : राज्य के 20 हजार मिडिल स्कूलों में स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं हैं. अभी भी प्रभारी प्रधानाध्यापक की देख-रेख में स्कूल और स्कूल की योजनाएं चल रही हैं. शिक्षा विभाग ऐसे सभी स्कूलों में जहां प्रधानाध्यापक के पद खाली हैं, उन पदों को पुराने वेतनमान वाले शिक्षकों की प्रोन्नति कर भरने जा रहा है. शिक्षा विभाग में इसकी तैयारी शुरू कर दी गयी है.

वर्तमान में राज्य में 30,188 मध्य विद्यालय हैं. इनमें से करीब 10 हजार स्कूलों में ही स्थायी प्रधानाध्यापक हैं, जबकि बाकी स्कूलों के शिक्षक प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत हैं. जो प्रभारी प्रधानाध्यापक हैं, वे सिर्फ स्कूल के शैक्षणिक व दैनिक गतिविधि पर नजर रखते हैं, जबकि स्कूल के वित्तीय मामलों की जिम्मेदारी संबंधित स्कूल के अगल-बगल स्थित मिडिल स्कूल के स्थायी प्रधानाध्यापक को दी गयी है.

इन स्कूलों में नियोजित शिक्षकों को प्रधानाध्यापक बनाने का प्रावधान नहीं है. शिक्षकों की प्रोन्नति के लिए पुराने वेतनमान वाले स्नातक शिक्षकों के पोस्ट ग्रेजुएट होना और चार साल की सेवा देना आवश्यक है. ऐसे में पुराने शिक्षकों के चार साल की सेवा की तो कब की पूरी हो गयी है, लेकिन पोस्ट ग्रेजुएट किये शिक्षक उतनी संख्या में नहीं हैं, जितनी आवश्यकता है.

ऐसे में शिक्षा विभाग पोस्ट ग्रेजुएट की बाध्यता को एक बार शिथिल करने की भी तैयारी कर रहा है. इससे मिडिल स्कूलों के स्नातक पास शिक्षकों की प्रधानाध्यापक पद में प्रोन्नति हो सकेगी. मध्य विद्यालयों के शिक्षकों को कोर्ट केसेज के कारण 1997-2000 तक प्रोन्नति बाधित रहा है. 2010 से जुलाई 2014 तक प्रोन्नति हुई, लेकिन अगस्त 2014 से फिर से प्रोन्नति बंद हो गयी.