इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स एशोसिएशन के रियासती सदर मिस्टर आरिफ़ हुसैन ने कहा है के बिहार में मुसलमान इंसानी हुकुक से दूर होते जा रहे है और ज़िंदगी के हर शोबे में तंजली उन का नसीब बन गयी है। सियासी, समाजी, तालीमी और एक्तेसादी शोबे में उनकी करकारदगी तशफ़ी बख्श नहीं है। उनके हालात का रोना तो सब रोते हैं मगर किसी के पास उनके हल का फसाना नहीं है। मेयारी तालीमी अदारों, मुतहीक्म कियादत और दानिश्वाराना बसीरत के मशवरों से महरूम मुसलमान तज़बजब की कैफियत से दो चार हैं। अगर ये सिलसिला जारी रहा तो मुल्क की सलामियात और तरक़्क़ी खतरे में पड़ जाएगी।
मिस्टर हुसैन ने कहा के बिहार के मुसलमानों के हालात का सर्वे कने के लिए इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स एशोसिएशन बिहार में बहुत जल्द मुखतलिफ़ सतह पर कमेटियाँ तशकील करेगा ताकि मुसलमानों पर होने वाले मुनफी असरात को कम किया जा सके उन्होने अपने आयनी और बुनियादी हुकुक के लिए बेदार किया जा सके।
अगर ये क़ौम सियासी, समाजी, ज़ेहनी और जिस्मानी तौर पर सेहतमंद होगी तो मुल्क की ही नहीं बल्कि अमन आलम की ऊमीद फिर से वाबस्ता हो जाएगी। मिस्टर आरिफ़ हुसैन ने रियासत की रज़ाकार तंजीमो, दानिश्वरों से दरख्वास्त की है के वो इस काम में एशोसिएशन का तावून करें ताकि रियासत के तकरीबन 20 फीसद अक्लियती आवाम को खुद एतमादी, आज़ादी और इंसानी कदरों के साथ जीने का मौका मिल सके