बिहार में मुसलमान भी मनाते हैं छठ पूजा

मंजूर आलम, नजमा खातून, लाडली बेगम और मोहम्मद नजीर सभी मुसलमान हैं, और ये सभी छठ पूजा कर रहे हैं, जो बिहार में हिंदुओं का सबसे अहम त्योहार है। ज़्यादा तादाद में मुस्लिम अघ्र्य देने के लिए न सिर्फ घाटों की साफ-सफाई करते हैं, बल्कि छठ के लिए रोज़ा (उपवास) भी रखते हैं।

सिताब दियारा के लाला टोला के साकिन मंजूर ( उम्र 50 साल) ने कहा, “”हम छठ त्योहार गुजश्ता 34 साल से मना रहे हैं और अपनी आखिरी सांस तक इसे मनाते रहेंगे।”” मंजूर ढोल बजाने का काम करता है और त्योहार के दौरान वह अपने ढोल के साथ घाट पर जाता है। वैशाली जिले के मोहनपुर गांव की साकिन नजमा छठ का त्योहार उसी तरह मनाती है, जैसे हिंदू ख्वातीन।

40 साला नजमा ने कहा, “”मैं अकेली नहीं हूं। नजदीकी गांवों में दर्जनों मुस्लिम ख्वातीन हैं, जो छठ का त्योहार मनाती हैं।”” हिंदू फिर्के के कट्टरवादियों की तन्कीद को दरकिनार करते हुए बिहार के मुख्तलिफ इलाको में मुस्लिम ख्वातीन सालों से छठ का त्योहार मना रही हैं।

मुस्लिम ख्वातीन का कहना है कि यह यकीन का मामला है। समस्तीपुर जिले की साकिन लाडली बेगम गुजश्ता आठ सालों से छठ त्योहार मना रही हैं। छठ त्योहार के सबब मेरे खानदान में खुशियां आई हैं।

उपवास कर ( रोज़ा रख कर) सूरज की इबादत करके मुझे खुशी होती है। अपने 10 साल के बेटे के शदीद तौर पर बीमार प़डने के बाद लाडली छठ त्योहार मना रही हैं। किसी के कहने पर उन्होंने छठ त्योहार शुरू किया था, जिसके बाद उनका बेटा सेहत हो गया।