बिहार में मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले छात्रों पर गिरी गाज, वापस करने होंगे सारे पैसे

पटना। बिहार सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट में दाखिला लेने के बाद बीच में ही कोर्स छोड़ने वाले छात्रों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है, सरकार ने छात्रों से बांड के साथ ही छात्रवृत्ति और स्टाइपन राशि एकमुश्त वापस लेने का फैसला किया है।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

न्यूज़ 18 के मुताबिक़ मंत्रिमंडल सचिवालय के प्रधान सचिव ब्रजेश महरूतरा ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में यहां आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। उन्होंने बताया कि राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के दूसरे पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के उद्देश्य से मेडिकल कोर्स बीच में ही छोड़ने की स्थिति में छात्रों को 15 लाख रुपये का बांड और तब तक हासिल की गई छात्रवृत्ति और स्टाइपन राशि एकमुश्त वापस करनी होगी।

श्री महरूतरा ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों के पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के चयन के दो तीन महीने बाद ही कोर्स बीच में छोड़ देने से लगभग 60 से 70 प्रतिशत सीटें खाली हो जाती हैं। साथ ही कॉलेजों को संबंधित पाठ्यक्रम में इतने छात्र नहीं मिल पाते हैं। इस परंपरा पर रोक लगाने के उद्देश्य से सरकार ने ऐसे छात्रों से बांड के साथ ही छात्रवृत्ति और स्टाइपन राशि एकमुश्त वापस लेने का फैसला किया है।

प्रधान सचिव ने बताया कि इसके अलावा मेडिकल कॉलेज से ग्रेजुएट की डिग्री लेने के बाद राज्य में तीन साल की अनिवार्य सेवा प्रदान करने के लिए 25 लाख रुपये के बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। इसके तहत अगर ग्रेजुएट पास डॉक्टर तीन साल की अनिवार्य सेवा नहीं करते हैं तो उन्हें बांड राशि और उस तिथि तक प्राप्त किये गये वेतन की कुल राशि एकमुश्त वापस करनी होगी।