बिहार में शुरू हुआ बाल विवाह व दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान

पटना: बिहार में बाल विवाह और दहेज के खिलाफ सोमवार को एक बड़ा अभियान शुरू किया गया. महात्मा गांधी की 148 वीं जयंती समारोह के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नव निर्मित बापू सभाघर में राज्यव्यापी अभियान शुरू किया. बाल विवाह के खिलाफ कड़े कानून होने के बावजूद यह बिहार में काफी प्रचलित है. खासकर बिहार के ग्रामीण इलाकों में यह कुप्रथा बहुत बड़े स्तर पर फैली हुई है.

कुछ वर्ष पहले तक बिहार में होने वाले कुल विवाह में से करीब 69 प्रतिशत बाल विवाह होते थे. लेकिन हाल ही में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 में खुलासा हुआ कि लड़कियों की शिक्षा पर जोर के कारण पिछले 10 सालों में यह आंकड़ा घटा है. मुख्यमंत्री ने बिहार में शराबबंदी को सामाजिक आंदोलन की शक्ल में शुरू किया। समाज का हर तबका इस अभियान में शामिल हुआ। स्कूल जाने वाले बच्चे-बच्चियों ने अपने अभिभावकों से यह शपथ पत्र भरवाया कि वे शराब नहीं पीएंगे। गांव-गांव में शराब के खिलाफ नारे लिखे गए, नुक्कड़ नाटक और गीत गाए गए।

बाद में नशाबंदी के खिलाफ राज्य में सबसे बड़ी मानव शृंखला बनी, जो विश्व रिकार्ड बना। शराबबंदी अभियान की सफलता से दहेज और बाल विवाह के खिलाफ अभियान शुरू करने को प्रेरणा मिली है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोक संवाद कार्यक्रम में आम लोगों से सुझाव लेते रहे हैैं। एक लोक संवाद कार्यक्रम में केवल महिलाओं को सुझाव देने को आमंत्रित किया गया था। एक युवती ने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया था कि दहेज विरोधी कानून तो है पर उसका अनुपालन सही तरीके से नहीं हो रहा है। इसी तरह बाल विवाह के विरुद्ध कानून के बावजूद घड़ल्ले से बाल विवाह होते हैैं। मुख्यमंत्री से इन समस्याओं के समाधान की मांग की गई थी ।

दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ आरंभ हो रहा अभियान लोगों को जागरूक किए जाने पर केंद्रित है। कानून तो पहले से है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि आप वैसे लोगों की शादी में न जाएं या शादी से जुड़े अन्य आयोजनों का बहिष्कार करें जो दहेज ले रहे हैैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल विवाह उन्मूलन से ही समाज की बहुत सारी बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। इन दोनों अभियानों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए कई स्लोगन व गीत भी तैयार किए गए हैैं।