बिहार में आलमी बैंक सरमायाकारी रकम दोगुना करेगा। रियासत में खेती के तरक़्क़ी के लिए ज़राअत रोड मैप की मंसूबों के अमल के लिए कम अज़ कम इन्टरेस्ट शरह पर रकम फराहम करायी जा सकती है। मौजूदा में आला बैंक कोसी बहाली, ताऊअनाई, तालिम वगैरह के लिए 3,418 करोड़ का सरमायाकारी किया है।
भारत में वर्ल्ड बैंक के डाइरेक्टर ओनो रूल ने मंगल को सहफ़ियों से बातचीत में कहा कि गुजिसता कुछ सालों में बिहार में तरक़्क़ी की रफ्तार तेज हुई है, लेकिन बिहार समेत पूरे मुल्क को 10 फीसद से ज़्यादा तरक़्क़ी शरह तौविल मुद्दत से बरकरार रखना होगा। उन्होंने कहा कि जमा तरक़्क़ी होना चाहिए।
कोसी बहाली मंसूबा की अमल पर अदम इत्मीनान जताते हुए उन्होंने कहा कि रिज्क प्रोग्राम बेहतर तरीके से काम कर रही है। इस्ट वेस्ट कॉरिडोर काफी अहम प्रोजेक्ट है। इससे यूपी और बिहार काफी फायदा ले सकते हैं।
सड़क के इलाक़े में बेहतर काम : उन्होंने वज़ीरे आला नीतीश कुमार के कामों की तारीफ करते हुए कहा कि पहले की हुकूमत ने तरक़्क़ी का पॉज बटन दबा दिया था, जबकि मौजूदा हुकूमत ने प्ले बटन दबा कर तरक़्क़ी काम को रफ्तार दी है। बिहार और गुजरात के तरक़्क़ी मॉडल पर उन्होंने कहा कि बिहार के सीएम की खासियत है कि बुनियादी स्ट्रक्चर और कानूनी निज़ाम के साथ ही इंसानी तरक़्क़ी की बात करते हैं, जबकि दीगर वज़ीरे आला बुनियादी स्ट्रक्चर और कानून निज़ाम पर ज़्यादा जोर देते हैं।
बिहार में खातून तालिम पर जोर दिया गया। तालिम, सेहत के साथ ही सड़क तामीर के इलाक़े में बेहतर काम हुए हैं। ताऊअनाई के इलाक़े में भी काम चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शहरी तरक़्क़ी का पैमाना है। ज़्यादा शहरीकरण से रोजगार की इमकान बढ़ती है। बिहार में बंदरगाह नहीं होने से तरक़्क़ी में रुकावट होता है। चीन भी तेज तरक़्क़ी शरह को बरकरार नहीं रख सका है। ऐसे में भारत को तरक़्क़ी शरह बरकरार रखने की चुनौती है।