पटना : मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा में खराब रिजल्ट देने वाले स्कूलों के शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों और संबंधित जिले के शिक्षा पदाधिकारियों को जबरन रिटायर किया जायेगा. गुरुवार को शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में इन पर कार्रवाई करने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुहर लगा दी . मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद में आयोजित समीक्षा बैठक में पांच प्रतिशत से भी कम रिजल्ट देने वाले स्कूलों के शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों व शिक्षा पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जायेगी. इनमें 50 साल से जिनकी उम्र ज्यादा हो चुकी होगी, उन्हें जहां जबरन सेवानिवृत्त कर दिया जायेगा, वहीं 50 साल से कम उम्र वाले शिक्षकों को चेतावनी देकर या फिर वेतन वृद्धि रोक कर छोड़ा जा सकता है.
बैठक में हाइ व प्लस टू स्कूलों में विज्ञान, गणित व अंगरेजी के शिक्षकों की कमी को देखते हुए इ-लर्निंग के जरिये बच्चों को पढ़ाने और स्कूलों के शौचालय की साफ-सफाई की जिम्मेदारी बच्चों को देने का भी निर्णय लिया गया. साथ ही प्रारंभिक स्कूल के बच्चों को सितंबर से किताबें मिलनी भी शुरू हो जायेंगी. वहीं, दक्षता परीक्षा में तीन बार फेल हो चुके नियोजित शिक्षकों को भी हटाया जायेगा.
समीक्षात्मक बैठक के बाद मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि वैसे स्कूल, जहां एक ही बिल्डिंग में दो या उससे अधिक स्कूल चलते हैं, वहां शिक्षक तो ज्यादा हैं, लेकिन छात्र कम हैं, ऐसे स्कूलों को मर्ज कर एक ही स्कूल का दर्जा दिया जायेगा और शिक्षक ज्यादा होने पर उन्हें दूसरे स्कूलों में पदस्थापित किया जायेगा. साथ ही वैसे स्कूल, जिनका अपना भवन नहीं है और जिन्हें भवन के लिए जमीन भी नहीं मिल पा रही है, उसे बंद कर भवन वाले नजदीक के स्कूलों में शिफ्ट कर दिया जायेगा.
साथ ही दूरी होने पर उस स्कूल के बच्चों के लिए ट्रासपोर्टिंग की व्यवस्था करनी पड़ेगी, तो भी की जायेगी. उन्होंने बताया कि अनुदानित स्कूलों व कॉलेजों में एक सत्र की राशि देने पर भी सहमति बनी. अगले साल से राशि देने से पहले देखा जायेगा कि किन-किन स्कूलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहतर हुआ और शिक्षक समेत अन्य संसाधन हुए या नहीं. इसी आधार पर अनुदान की राशि दी जायेगी.
मुख्य सचिव ने बताया कि प्रारंभिक स्कूलों का जीविका की दीदियां निरीक्षण कर रही हैं. अब तक 17,566 स्कूलों का निरीक्षण कर चुकी हैं. इससे पिछले साल की तुलना में 10% शिक्षकों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है. वहीं, एक प्रतिशत से भी कम बच्चे स्कूल से बाहर हैं. उनका डिटेल कंप्टयूर में रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि उन्हें ट्रैक किया जा सके और वे स्कूल क्यों नहीं जा पा रहे हैं, पता लगाया जा सके.