सुबह साढ़े दस बजे से पटना हाईकोर्ट में कार्रवाई चल रही थी। तमाम अदालत में जज केसों पर सुनवाई कर रहे थे। सुनवाई चल ही रही थी कि दोपहर बाद एकाएक जज की कुर्सी समेत टेबल पंखा हिलने लगा। पहले तो कोई समझ नहीं सका।
फौरन जज और वकीलों को ज़लज़ले की याद आई और सभी दरवाजे की तरफ भागे। कई जज अपने से दरवाजा खोले तो किसी जज को बाहर निकलने के लिए उनके जमादार ने दरवाजा खोला। एक वक़्त तो ऐसा आया कि जज, वकील और हाईकोर्ट मुलाज़िमीन तमाम एक ही सीढ़ी से उतरने लगे।
चैम्बर से कोर्ट सेशन रूम में आने और जाने के दौरान किसी भी सख्श को जाने की मनाही होती है। जज के जाने और आने के बाद कोई सख्श आ जा सकते हैं। हाईकोर्ट के जज के ज़ाती सेक्रेटरी संजय ओझा ने जज को महफूज़ बाहर ले जाने में काफी मदद की।
ज़लज़ले के बाद वकालतखाना में काफी वकील दिखे। सभी खुले मैदान में थे। सवा दो बजे के बाद जब हाईकोर्ट की दूसरी सेशन शुरू हुई तो वकीलों की तादाद काफी कम थी। कई जज कोर्ट में बैठे और थोड़ी ही देर में उठ कर वापस चले गए। वहीं चीफ़ जज का न्याय कक्ष वकीलों से खचाखच भरा हुआ था। चीफ़ जज के न्याय कक्ष में वकीलों से मुतल्लिक़ एओआर केस पर सुनवाई चल रही थी।