नई दिल्ली: बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने पार्टी की अखिल भारतीय बैठक को आज यहाँ सम्बोधित करते हुये कहा कि बीएसपी अम्बेडकरवादी विचारधारा वाली सर्वसमाज की पार्टी है तथा उन्हीं के आदर्शों व मूल्यों के बल पर आगे बढ़ते हुये भारत की राजनीति में ख़ास व महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त करने एवं उत्तर प्रदेश में चार बार सरकार बनाने में सफल हुई है तथा इसमें बीएसपी परिवारवाद, जातिवाद व साम्प्रदायिकता के साथ-साथ व्यक्तिगत स्वार्थ, व्यक्तिगत लांछन, छींटाकशी व विद्वेष आदि का कोई स्थान नहीं है।
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने ऐसी अनुशासनहीनता को ना तो पहले कभी बर्दाश्त किया है और ना ही आगे कभी इसे सहन किया जायेगा और इसी क्रम में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व नेशनल कोर्डिनेटर जयप्रकाश सिंह को उनके सभी पार्टी पदों से हटा दिया गया है और अब आज पार्टी से भी निकाल दिया गया है, क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को व्यक्तिगत तौर पर आक्षेप करते हुये उन्हें ’’गब्बर सिंह’’ कहा था तथा कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी के बारे में भी काफी व्यक्तिगत आक्षेप व अनर्गल बयानबाज़ी की थी।
ख़ासकर ऐसे मामलों में बीएसपी को सत्ताधारी बीजेपी पार्टी कतई नहीं बनने देना है जो कि सत्ता की लालच व अहंकार में आकर मर्यादाओं की हर सीमा को लांघने में लगी हुई है तथा उनके नेताओं को इसकी कोई परवाह भी नहीं जगती है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा व विधानसभा के चुनाव के दौरान् तो खासकर बीएसपी के लोगों को खून के घूंट पी कर रहना पड़ा था फिर भी पार्टी ने अपना संयम बनाये रखने का पूरा-पूरा प्रयास किया था। देश जानता है कि जातिवादी तत्वों ने बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के साथ भी ऐसा ही बर्ताव हमेशा किया था परन्तु वे कभी भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से विचलित नहीं हुये।
मायावती ने अपने सम्बोधन में बीएसपी ’’सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति’’ के महान लक्ष्य को लेकर चलने वाली एक अनुशासन-प्रिय पार्टी है और इसीलिए पार्टी के विरोधी भी बीएसपी व उसके नेतृत्व के बारे में कुछ भी बोलने के पहले कई बार सोचते हैं और अगर कोई नेता अपनी सीमा लांघता है, तो वह जनता की नजर में अपनी इज़्ज़त ख़ुद गवाँता है। आज भी हर स्तर पर ख़ासकर बीजेपी के नेताओं द्वारा बार-बार बी.एस.पी. को उत्तेजित करने का प्रयास किया जाता है लेकिन हमारी पार्टी ने पूरा संयम बरता और बिना विचलित हुये आगे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने का प्रयास किया है।
वैसे भी यह सर्वविदित है कि बी.एस.पी. की नीति व सिद्धान्त अमूल्य संविधान, कानून व मानवीयता पर आधारित है और इसलिये इसका संकल्प “सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय” में निहित है जो बाबा साहेब डाॅ. भीमराव अम्बेडकर की संवैधानिक सोच पर पूर्णतः आधारित है। इस संकल्प को प्राप्त करने के क्रम में बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की तरह ही बीएसपी ने भी कई बार अनेकों प्रकार के धोखे खाये हैं फिर भी अपनी नीतियों व सिद्धान्तों के लिये अनेकों प्रकार की कुर्बानियाँ देने से पीछे नहीं हटी है और इस क्रम में बीएसपी मूवमेन्ट ने कभी भी किसी के ख़िलाफ व्यक्तिगत लांछन व विद्वेष से अपने आपको दूर रखने का प्रयास किया है हालाँकि समय पर पार्टी को जैसे को तैसा मुँहतोड़ राजनीतिक जवाब भी देना पड़ा है परन्तु वह भी मर्यादा में रहते हुये।
इसके साथ ही आज के दूषित राजनीति वातावरण में जहाँ ख़ासकर सत्ताधारी बीजेपी व उसका शीर्ष नेतृत्व भी राजनीतिक द्वेष व लांछन वाली राजनीतिक बयानबाज़ी के निचले स्तर पर नज़र आता है, तो ऐसे ख़राब माहौल में भी बी.एस.पी. के शीर्ष नेतृत्व की तरह पार्टी के सभी छोटे-बड़े पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को अपना संयम व धैर्य कभी नहीं खोना है तथा पूरी शालीनता के साथ व्यवहार करते हुये पार्टी अनुशासन से अपने आपको बांधे रखना है। पार्टी की प्रतिष्ठा व सफलता की यह कुंजी है। हमें सेना की तरह अनुशासन से बंधे रहना है, जो कि बीएसपी की असली पहचान भी है।
उन्होंने कहा कि बीएसपी एक कैडर-आधारित पार्टी है और कैडर जनसभाओं की तरह खुले में नहीं बल्कि बन्द जगह पर आयोजित की जाती है क्योंकि कैडर में पार्टी की नीतियों व सिद्धान्तों को सामने रखकर विचारों के बल पर सर्वसमाज को जोड़ने का काम किया जाता है। वैसे भी बीएसपी देश के ग़रीबों, मज़दूरों, दलितों, पिछड़ों, धार्मिक अल्पसंख्यकों व अन्य शोषितों-पीड़ितों के हितों के लिये संघर्ष करने वाली पार्टी है तथा पार्टी के कार्यक्रमों के आयोजनों पर बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों की पार्टी बीजेपी आदि की तरह पानी की तरह धन खर्च नहीं कर सकती है। बीजेपी की अपनी करनी के कारण भी इसकीे केन्द्र व राज्य सरकारों की लोकप्रियता तेजी से गिर रही है परन्तु रूपया के मूल्य का तेजी से नीचे गिरते रहना देश के लिये अति-चिन्ता की बात।
मायावती ने कहा कि जनता की नजर में बीजेपी जनहित, जनकल्याण व देशहित आदि के विरूद्ध एक जनविरोधी निरंकुश पार्टी व सरकार बनकर उभरी है। इसलिये उसको सत्ता से यथासंभव दूर रखना अब ज़रूरी हो गया है और जिसके लिये ही विभिन्न राज्यों में विभिन्न पार्टियों से चुनावी गठबंधन या समझौता करने की नीति पर अमल किया जा रहा है। कर्नाटक में इसके अच्छे परिणाम निकले हैं तथा हरियाणा में भी बीएसपी-इण्डियन नेशनल लोकदल गठबंधन तेजी से अपनी राजनीतिक पैठ बना रहा है, जिससे बीजेपी काफी ज़्यादा परेशान है।
आने वाले विधानसभा व लोकसभा आमचुनावों के बारे में बीएसपी को अपनी कारगर बीजेपी सरकार-विरोधी रणनीति बनानी है जिसके सम्बन्ध में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बी.एस.पी. मूवमेन्ट के भविष्य के साथ-साथ देश के व्यापक राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक भविष्य को ध्यान में रखकर फैसले करेगा और जब मामला परिपक्व होगा तो उसकी सार्वजनिक घोषणा अवश्य ही की जायेगी। इस सम्बंध में किसी भी स्तर के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को किसी भी प्रकार की टिप्पणी पार्टी हित के विरूद्ध व अनुशासनहीनता मानी जायेगी, जो पार्टी कभी भी गवारा नहीं करेगी अर्थात चुनावी गठबंधन या समझौता के सम्बंध में सर्वाधिकार पार्टी हाईकमान के पास सुरक्षित है, जिसका सम्मान आवश्यक है।