बीजेपी की किसान रैली में हुई दंगों के बीज की बुआई

गुजरात: मोदी के विकास मॉडल के नाम से जाने जाते गुजरात के वडोदरा में रखी गई एक रैली आज लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई है। वैसे तो बीजेपी ने इस रैली को नाम दिया था किसान रैली का, लेकिन रैली में आने वाले लोगों को शायद ही इस बात का अंदाजा था कि इस किसान रैली में बीज भी बोये जाएंगे। खैर,अपनी फितरत के मुताबिक काम करने और विकास का नारा देने वाली बीजेपी ने बीज तो जरूर बोए लेकिन वह बीज थे दंगों के, नफरत के और लोगों को बांटने के।

जी हाँ, बिलकुल यही हुआ है पिछले दिनों वड़ोदरा में रखी गई किसान रैली में जहाँ रैली में बुलाये गए लोगों को कहा गया था कि गुजरात की सीएम आनंदीबेन पटेल किसानों की परेशानियां का हल लेकर आएँगी और उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए स्कीमें भी घोषित करेंगी। लेकिन रैली में इकठ्ठा हुई भीड़ को आनंदीबेन के भाषण से पहले करीब 20 मिनट के वीडियो दिखाकर उन्हें उमर खालिद और कन्हैया कुमार के खिलाफ भड़काने की साजिश की गई।

20 मिनट के इस वीडियो प्रोग्राम में ज़ी न्यूज़ से लिए गए वीडियो क्लिप्स को इस तरीके से एक लड़ी में दिखाया गया जिससे देखने वाले को यह लगे कि जेएनयू में स्टूडेंट्स राष्ट्र विरोधी काम करते हैं और देश के टुकड़े टुकड़े कर देना चाहते हैं। यही नहीं, रैली के वह भोले भाले किसान जो गुजरात में हो रहे चौतरफा विकास का शोर सुनकर बहरे हो चुके हैं के लिए उमर खालिद के वीडियो के साथ-साथ कैप्शन भी दिए जा रहे थे जिनमें लिखा था: “जेएनयू  कैंपस के अंदर उनकी देश को टुकड़ों में बांटने के नारे लगाने की हिम्मत कैसे हुई??

इस मामले में सिआसत हिंदी के विशेष संवाददाता ए.एच. अंसारी से इस बारे में बात करते हुए एक सीनियर बीजेपी नेता ने बताया कि ” इन वीडियो संदेशों को दिखाने का फैसला बीजेपी के स्टेट पार्टी एग्जीक्यूटिव का था, इन वीडियो को दिखाने के पीछे बीजेपी का मकसद लोगों में राष्ट्र्वाद की भावना पैदा करना है”। इसके इलावा बात करते हुए एक बीजेपी नेता ने यह तक भी कह दिया कि हम देश में ऐसे किसी आदमी को नहीं बख्शेंगे जो भारत माता की जय बोलने से इंकार करे। इसे लोगों के किस तरीके से निपटना है हम जानते हैं।

इसके इलावा मौके पर मौजूद बीजेपी नेताओं का मानना है कि इन वीडियो क्लिप्स को इस तरीके से एक के बाद एक दिखाने के लिए लगाया गया है कि आम से आम सोच वाला आदमी भी मामले को अच्छे से समझ सके और अपनी सोच इख्तियार कर सके।

बीजेपी की तरफ से दिखाये गए वीडियो में बार बार अफ़ज़ल गुरु के पोस्टर जिसमें “हर घर से निकलेगा अफ़ज़ल” लिखा हुआ था को दिखाया जा रहा था। सीएम आनंदीबेन पटेल के आने के बाद करीब 3 घंटे तक चले इस प्रोग्राम में कब किसानों के लिए विशेष पैकेज या नई योजना की घोषणा होगी इस बात का इंतज़ार करते करते किसानों की उम्मीद से भरी आँखें और राहत के लफ्ज़ सुनने को तरस रहे कान थक गए लेकिन प्रोग्राम में आई आनंदीबेन बिना किसी ऐसी राहत की घोषणा के हाथ जोड़कर चलती बनीं।

प्रोग्राम में आए अलग अलग इलाकों के किसान मंडल के नेताओं ने इस बात पर अपना गुस्सा ज़ाहिर करते हुए कहा-” बीजेपी के नेताओं ने उन्हें बड़ी बड़ी बातें सुना कर यहाँ रैली में आने को कहा था लेकिन मंत्री जी तो बिना कुछ बोले ही खिसक लिए”

इतना सब होने के बाद गुस्साए किसानों को शायद यह मालुम भी न चला कि रैली में पहुंचे लोगों को बहुत कुछ मिला है और जो कुह भी मिला है वह बीज की शक्ल में मिला है जिस बीज से उनके अंदर नफरत ही नफरत पैदा होगी। अब देखना यह है कि बीजेपी के बोये बीज कितने लोगों के दिलों में नफरत की फसल खड़ी कर पाते हैं।