बीजेपी ने भी छेड़ा मुसलमानों से हमदर्दी का राग

नई दिल्ली, 4 जुलाई: इक्तेदार (सत्ता) हासिल करने का ऐसा लालच कि अब बीजेपी भी मुसलमानों पर जाल डालने लगी है। 25 जून को दिल्ली मे बीजेपी ने मुसलमानों का एक जलसा करके ऐसी खुशामदाना बातें की जैसे इस मुल्क में बीजेपी से ज्यादा मुसलमानों के नजदीक कोई दूसरी पार्टी है ही नहीं। पार्टी ने अपने एक वफादार मुख्तार अब्बास नकवी की कयादत में एक कमेटी तश्कील की यह कमेटी बीजेपी की जुबान में ही मुसलमानों को सियासी, सामाजी, और मआशी (आर्थिक) तौर पर ताकतवर बनाने के लिए जल्दी ही एक ‘विजन डाक्यूमेन्ट’ तैयर करेगी और मुसलमानों को उसी की बुनियाद पर यह बताया जाएगा कि बीजेपी उनकी तरक्की के लिए कितनी फिक्रमंद है।

मुसलमानों के लिए ‘विजन डाक्यूमेंट’ अगस्त के महीने में ईद के मौके पर लाने का फैसला बीजेपी ने अपने कण्ट्रोलर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और नरेन्द्र मोदी की रजामंदी के बाद ही किया है जिन नरेन्द्र मोदी की कियादत में बीजेपी ने अपनी इलेक्शन कम्पेन कमेटी बनाई है और यह विजन डाक्सूमेंट इलेक्शन कम्पेन का हिस्सा होगा।

यह वही नरेन्द्र मोदी है जिन्होंने अपनी हुकूमत के दौरान गुजरात में स्कालरशिप समेत मुसलमानों को किसी भी सहूलत का फायदा नहीं उठाने दिया जो सहूलतें देने के लिए मरकजी हुकूमत ने कई किस्म की स्कीमों के जरिए करोड़ों रूपयों का फण्ड था।

हुकूमत ए हिंद ने मुसलमानों के लिए जितनी भी स्कीमों के लिए करोड़ों का बजट दिया था नरेन्द्र मोदी ने स्कालर शिप समेत किसी भी स्कीम को गुजरात में नाफिज नही होने दिया और बार-बार यही कहते रहे कि वह और उनकी हुकूमत अकलियत और अक्सरियत में यकीन नहीं करती। उन्हें तो सभी छः करोड़ गुजरातियों की तरक्की की फिक्र है।

इसलिए वह अकलियतों के नाम से चलने वाली किसी भी स्कीम पर गुजरात में अमल नहीं कराएंगे। यह उनका महज बहाना था दरअस्ल वह और उनकी हुकूमत मुसलमानों के लिए कुछ करना ही नही चाहती है। नरेन्द्र मोदी की नजर में मुसलमान तो बस कीड़े मकोड़ो की तरह मारने के लिए उनकी तरक्की के काम करने की कोई जरूरत नहीं है।

अब चूंकि नरेन्द्र मोदी अपने सियासी उस्ताद लाल कृष्ण आडवानी तक के सीने पर पैर रख कर जल्द से जल्द मुल्क का वजीर-ए-आजम बनने के लिए उतावले है उन्हें मालूम है कि बीस फीसद मुसलमानों को अलग-थलग करके वह अपना मकसद हासिल नहीं कर सकते इसीलिए उनकी इलेक्शन कम्पेन कमेटी ने लोकसभा इलेक्शन से कब्ल मुसलमानों के दरवाजे पर दस्तक देने का फैसला किया है। जाहिर है वह मुसलमानों को ठगने की ही कोशिशों में लग गए हैं।

अब राजनाथ सिंह भी मुसलमानों से कह रहे हैं कि वह पिछली बातें भूलकर नए सिरे से रिश्ते कायम करने में तआवुन करें। उनकी पार्टी कह रही है कि वह मुसलमानों को सियासी, समाजी, तालीमी और मआशी (आर्थिक) तौर पर ताकतवर बनाने के लिए विजन डाक्यूमेंट लाने वाली है।

यह सारी बातें नरेन्द्र मोदी को प्राइम मिनिस्टर बनवाने की कवायद का हिस्सा है। उसी नरेन्द्र मोदी को जिसकी कियादत में गुजरात असेम्बली के तीन इलेक्शन हुए और मोदी ने किसी एक भी मुसलमान को अपनी पार्टी का उम्मीदवार नहीं बनाया लोकसभा इलेक्शन में 545 में से एक या दो उम्मीदवार ही बीजेपी उतारती है फिर यह पार्टी मुसलमानों को सियासी एतबार से ताकतवर कैसे बनाएगी?

इससे पहले कांग्रेस या दूसरी कोई पार्टी अगर मुसलमानों के लिए कुछ ऐलान करती थी तो बीजेपी इस इल्जाम के साथ शोर मचाने लगती थी कि फलां पार्टी तो मुसलमानों की मुंह भराई कर रही है अब विजन डाक्यूमेंट की बात करके बीजेपी क्या कर रही है? जहां तक मुसलमानों से बीजेपी की इस अचानक पैदा हुई मोहब्बत का सवाल है तो उसे देख कर साफ लगता है कि बीजेपी मुसलमानों को सिर्फ और सिर्फ गुमराह करने की कोशिश कर रही है।

अब आर.एस.एस. चीफ मोहन भागवत बीजेपी सदर राजनाथ सिंह और उनके वफादार मुख्तार अब्बास नकवी समेत कई लोग मुसलमानों के साथ हमदर्दी और प्यार मोहब्बत का इज़हार करते फिर रहे हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि दंगे फसाद होना तो आम बात रही है इसलिए बीते दौर में हुए दंगों को भूल कर हमें आगे बढ़ने की बात करनी चाहिए।

मुख्तार अब्बास नकवी को भी अचानक मुसलमानों की बहुत फिक्र सताने लगी है। वह अफसोस के ड्रामे के साथ कहते हैं कि इस मुल्क में मुसलमान सदर तो बन सकता है लेकिन पंचायत का मेम्बर नहीं बन सकता।

आर.एस.एस. और बीजेपी न तो मुसलमानों की कभी हमदर्द थी न है और न कभी हो सकती है। हकीकत यह है कि बीजेपी को मुसलमानों के वोटों की जरूरत भी नहीं है। उसे तो सिर्फ इतना चाहिए कि मुसलमान बीजेपी और मुल्क की सत्ता के दरमियान रूकावट बनने का काम न करें।

बीजेपी चाहती है कि इलेक्शन के वक्त मुसलमान इकट्ठा होकर बीजेपी के मुखालिफ उम्मीदवार के साथ न जाएं ताकि वह अपने उम्मीदवारों को आसानी से फतह करा सकें। अभी तक यह देखा गया है कि अक्सर किसी भी हल्के में बेश्तर मुसलमान बीजेपी के खिलाफ किसी एक उम्मीदवार के साथ चले जाते हैं। इसी वजह से बीजेपी इलेक्शन नहीं जीत पाती।

बीजेपी और उसे अपनी उंगलियों पर नचाने वाले आर.एस.एस. को बखूबी एहसास हो चुका है कि अगर अगले साल यानी 2014 में भी वह मुल्क में हुकूमत बनाने लायक सीटें न जीत सकी और मुल्क की सत्ता हासिल न कर सकती तो फिर सत्ता तक पहुंचने में उसे मुद्दतें लग जाएंगी। मौजूदा बीजेपी में एक नरेन्द्र मोदी ही आर.एस.एस. को ऐसे दिखते हैं जिनके दम पर वह अपनी सियासी ताकत में कुछ इजाफा कर सकता है आगर यह मोहरा भी पिट गया तो दूसरे तमाम मोहरों की हैसियत प्यादों से ज्यादा नहीं है।

इसीलिए अब बीजेपी ने मुसलमानों पर डोरे डालने शुरू किए हैं। ( हिसाम सिद्दीकी)

————बशुक्रिया: जदीद मरकज़