हैदराबाद 02 मई: सीपीआई ने चीफ़ मिनिस्टर बिहार नतीश कुमार की इस तजवीज़ का ख़ैर-मक़्दम किया है कि क़ौमी सतह पर तमाम मुख़ालिफ़ बीजेपी जमातों का एक अज़ीम इत्तेहाद क़ायम किया जाना चाहीए।
पार्टी ने कहा कि एसा कोई इत्तेहाद मुतबादिल और मुवाफ़िक़ ग़रीब मआशी पालिसीयों पर मुश्तमिल होना चाहीए। सीपीआई के जनरल सेक्रेटरी एस सुधाकर रेड्डी ने पीटीआई से बातचीत करते हुए कहा कि हमने नतीश कुमार की तजवीज़ देखी है। हमारा रद्द-ए-अमल इस पर मुसबित है। नतीश कुमार की तरफ से एसी तजवीज़ एक अच्छी अलामत है।
इस के लिए कुछ मामूली शराइत होंगी। एक शर्त ये है कि मआशी पालिसीयां वाज़िह होनी चाहिऐं। ये पालिसीयां अज़ीम इत्तेहाद के लिए मनफ़ी नहीं होनी चाहिऐं। ये इत्तेहाद बीजेपी का मुतबादिल होनी चाहीए और इस की पालिसीयां बीजेपी की पालिसीयों की मुतबादिल होनी चाहिऐं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भी अपनी मआशी पालिसीयों पर नज़रसानी करनी चाहीए और उसे एसा रवैया इख़तियार करना चाहीए जो मुवाफ़िक़ ग़रीब हो और कॉर्पोरेट्स के ख़िलाफ़ हो क्युं कि कॉरपोरेट शोबा ग़रीबों की क़ीमत ख़ुद फ़ायदा हासिल करता है। उन्होंने कहा कि सबसे अहम बात ये है कि कांग्रेस को अपनी मआशी पालिसीयों पर एसे अंदाज़ में नज़र-ए-सानी करनी चाहीए कि वो मुख़ालिफ़ कॉरपोरेट और मुवाफ़िक़ ग़रीब हूँ।
उन्होंने कहा कि हम ये नहीं कह रहे हैके तमाम कॉर्पोरेट्स को क़ौमियाजाये बल्के सरमाया दाराना तरीका-ए-कार ख़त्म होना चाहीए। इस बात को यक़ीनी बनाना चाहीए कि कुछ लोगों को इज़ाफ़ी फ़ायदे हासिल करने का मौक़ा ना मिलने पाए जैसा मौजूदा सरमाया दाराना निज़ाम में हो रहा है।
इस के अलावा करप्शन के ख़िलाफ़ एक अह्द होना चाहीए। इस तरह की मुसबित तबदीलीयों को अगर पेश किया जाता है तो इस पर अवामी ताईद हासिल होगी।
उन्होंने कहा कि बाएं बाज़ू की जमातों के लिए इस इत्तेहाद का हिस्सा होना ज़रूरी नहीं है। अगर मुतबादिल पालिसीयां पेश की जाती हैं तो कमीयूनिसट जमातें उस की ताईद कर सकती हैं।