राँची: झारखंड की राजधानी रांची में बीजेपी सरकार के खिलाफ आदिवासियों ने देव कुमार धानके नेतृत्व में आक्रोश महारैली का आयोजन किया, इस मौके पर महासभा के संयोजक देव कुमार धान ने कहा कि जो लोग आदिवासियों को बर्बाद करने के लिए आरएसएस और भाजपा की दलाली कर रहे हैं, वे इसे बंद करें. आरएसएस सरना और इसाई के नाम पर आदिवासियों की एकता को तोडऩे की कोशिश में लगे है. अब आदिवासी धर्म, जाति से ऊपर उठकर माटी की लड़ाई के लिए एक हो गए हैं. अगर सरकार आदिवासी हित चाहती है तो धर्म कोड लागू करे.
नेशनल दस्तक के अनुसार, धर्म अगुवा विरेंद्र भगत ने कहा कि हम जाति-धर्म से उपर उठकर माटी के लिए एकजुट हैं. आक्रोश महारैली सरना-इसाई की एकता की सफलता का प्रतीक है. उन्होने कहा, लोकतांत्रिक देश में रैली को सरकार ने रोकने की कोशिश की है. परंतु सरकार इसमें विफल रही है. झारखंड का संघर्ष का इतिहास रहा है, जब भी शोषण-अत्याचार बढ़ा है. उलगुलान हुआ है. उन्होने कहा जो भी आदिवासियों का सम्मान नहीं करेगा, उसे राज्य की सत्ता चलाने नहीं दिया जाएगा.
डॉ. प्रकाश उरांव ने कहा कि आदिवासियों की महारैली को विफल करने के लिए सरकार ने इमरजेंसी जैसी हालत पैदा कर दी और सरकारी तंत्रों ने आदिवासियों को कर्फ्यू कहकर रोकने का प्रयास किया है. उन्होने कहा, बिना आदिवासियों के राज्य नहीं चलने वाला है. भाजपा में जो हमारे जाति के है वे भी हमारे साथ आएं.
आदिवासी जन परिषद के प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि यदि सरकार सही मायनों में आदिवासियों का हित चाहती है तो धर्म कोड लागू करे. जबकि सरकार ऐसा नहीं करती, और धर्म के नाम पर आदिवासियों को बांटने की कोशिश करती है.
शिक्षाविद डॉ. करमा उरांव ने कहा कि मुख्यमंत्री इसाई की बात बोलते है, परंतु यह कभी नहीं कहते हैं कि आदिवासियों का सबसे ज्यादा हिंदु धर्म में धर्मांतरण हुआ है. ऐसी फूट डालो शासन करो की राजनीति नहीं चलेगी.
उरांव ने कहा, सीएम को लगता है कि मिशनरी धर्म परिवर्तन कराते है तो सबसे पहले अपने मंत्रियों को कहें कि इसाई मिशनरी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना छोड़ दें, ऐसी दोहरी व सांप्रदायिक मानसिकता आदिवासियों के बीच नहीं चलेगी.