झारखंड में एक लेक्चरर, जीत राय को फेसबुक पोस्ट लिखने के दो साल बाद गिरफ्तार किया गया है. शनिवार (25 मई) को पुलिस ने कहा कि पोस्ट लिखने के बाद शिकायत दर्ज हुई, तब से ही साक्षी थाना क्षेत्र के राजकीय महिला महाविद्यालय में तैनात जीत फरार था. मई 2017 में जीत राय ने एक पोस्ट में लिखा था कि जानवरों की बलि और बीफ खाना आदिवासी त्योहार ‘जोहर डांगरी मैदान’ का हिस्सा है और यह ‘आदिवासियों का सांस्कृतिक अधिकार’ है.
अदालती दस्तावेजों के मुताबिक, जीत ने गोवंशीय पशुओं की हत्या के खिलाफ बने कानून की भी आलोचना की. उसने पूछा था कि आदिवासियों को ‘हिंदुओं की तरह क्यों रहना पड़ता है?’ द इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार, जमशेदपुर पुलिस ने आईपीसी की धारा 153A (समूहों के बीच वैमनस्यता को बढ़ावा देना), 295A (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं का अपमान करना) और 505 (भड़काऊ बयान देना) के तहत केस दर्ज किया था. शिकायतकर्ता तब के साक्षी थानाध्यक्ष अनिल कुमार सिंह थे.
अग्रिम जमानत याचिका हो चुकी है खारिज
जीत के वकील शादाब अंसारी ने कहा कि उसकी अग्रिम जमानत याचिका अप्रैल में खारिज हो चुकी है. 18 अप्रैल को सुनवाई में तब के वकील ने कहा था कि किसी कानून या कानूनी प्रावधान की वैध आधार पर आलोचना को अपराध नहीं ठहराया जा सकता. पहले भी जीत की अग्रिम जमानत खारिज हो चुकी है.
हालांकि जमशेदपुर के एडिशनल सेशंस जज 13 ने कहा था कि जांच अधिकारी के सामने बयान में, जीत के कॉलेज प्रशासन और प्रिंसिपल ने कहा था कि ऐसी पोस्ट्स समुदायों के बीच ‘नफरत और शत्रुता को बढ़ावा’ देती हैं. अदालत ने पाया कि जीत के खिलाफ लगे आरोप गंभीर थे और अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी.