मजहब तब्दील को लेकर जहां एक तरफ संसद भवन से लेकर पूरे भारत में सियासी सरगरमी तेज है। वहीं दूसरी तरफ पुरैनी ब्लॉक व उदाकिशुनगंज में हिंदुओं के ईसाई मजहब तब्दील करने का मामला सामने आया है़ हालांकि मामले में कई आवाज उभर कर सामने आ रहा है।
कुछ मुक़ामी लोगों ने बताया कि गरीबी से ऊपर उठने की चाहत ने उदाकिशुनगंज हेड क्वार्टर के वार्ड नंबर नौ के कई लोगों को मजहब तब्दील के लिये मजबूर कर दिया़ बात जब सामने आई है तो मजहब तब्दील करनेवाले पीछे हटने लगे है़। वैसे उन लोगों का कहना है कि मजहब तब्दील नहीं किये हैं, लेकिन गुजिशता छह माह से ईशु में यकीन जाता रहे हैं। उन लोगों की मानें तो यकीन की वजह अब इत्क़्तेसादी हालत ठीक ठाक हुई है़ ये बातें मुहल्ले के ज़्यादातर लोग ईशु की पुजा करते है़। कुछ लोग क्रिसमस की रात ईसाई मजहब कबूल करने वाले थ़े जब बात अगल-बगल के लोगों तक पहुंची तो लोगों ने मजहब तब्दील का इरादा बदल लिया़
मुखालिफत के बाद चर्च में लटका ताला
बताया जाता है कि 24 दिसंबर की रात मामला सामने आने पर भाजयुमो के जिला सदर मंटु कुमार यादव, जिला वज़ीर गोपाल कुमार मिश्र, विपीन कुमार मंडल, विवेकानंद सिंह, मंटु दास, नंदकिशोर यादव सहित दर्जनों गाँव वालों ने बुध की शाम मुबाइयना चर्च में पहुंच कर मजहब तब्दील का मुखालिफत जताया़ लोगों में गुस्सा देख चर्च के संत उड़ीसा के गजपति जिले के कृष्ण चंद्रपुर के आकाश कुमार पानी फरार हो गये हैं।
जुमेरात को चर्च में ताला लटका पाया गया़ जिस घर में चर्च चलाया जा रहा था वह घर हेड क्वार्टर के कोको पोद्दार की बतायी गयी़ इस दरमियान घर के मालिक कोको भी घर से गायब बताये गय़े कोको के बेटा हरेराम कुमार और हरे कृष्ण कुमार ने बताया कि उसके घर में छह माह से चर्च चलाया जा रहा था जहां सिर्फ प्रभु ईशु की पूजा की जाती है़ चर्च के संत प्रभु ईशु के बारे में बताया करते है़ं कोको के दोनों बेटे और मुहल्ले के पिंकु मंडल व दीगर के मुताबिक उन लोगों ने अब तक मजहब तब्दील नहीं किये हैं, लेकिन जब से प्रभु ईशु में यकीन किये हैं तबसे न सिर्फ बीमारियों से छुटकारा मिला है बल्कि उन लोगों की माली हालत में भी सुधार हुआ है़ उन लोगों ने यह भी कहा है कि प्रभु ईशु में यकीन जताते रहेंगे।
पुरैनी से जुड़ा है तार
मुहल्ले वालों के मुताबिक सबसे पहले पीडीएस सिस्टम की दुकान चलाने वाले शंभु दास के अहले खाना वालों ने ईशु को अपनाया़ धीरे-धीरे मुहल्ले के लोगों ने भी ईशु में यकीन जताना शुरु कर दिया। कुछ मुक़ामी लोगों ने दावा किया कि चर्च के संत के असर की वजह से खुफिए तरीके से मजहब तब्दील कर लिये है़। इस मजहब तब्दील व प्रभु ईशु में यकीन के तार पुरैनी के कुरसंडी पंचायत के बथनाहा गांव से जुड़ा हुआ है़ जहां गुजिशता डेढ़ सालों से चर्च चलाये जा रहे है़। वहां रोजाना सैकड़ों लोग मुखतलिफ़ जिलों से चर्च में पहुंचते है़ं हालांकि ये चर्च के सरबराह डॉ लखन लाल पंडित बताते है कि यहां मजहब तब्दील का पाठ नहीं पढ़ाया जाता है़ यहां पर प्रभु ईशु के उपदेश के बारे में बताया जाता है़ यकीन से लोग यहां पहुंचते है़ं
पुलिस कर रही इनकार
इधर पुलिस इंतेजामिया ने किसी भी क़िस्म के मजहब तब्दील की बात से इनकार किया है़ उदाकिशुनगंज के एसडीपीओ मो रहमत अली ने कहा कि इलाक़े में मजहब तब्दील का कोई मामला सामने नहीं आया है़ वहीं थाना सदर आरसी उपाध्याय ने बताया कि कुछ मजहब प्रचारक इलाके में बाइबिल की किताब बांट रहे है़ इस बात को लेकर मजहब तब्दील की हवा बहा दी है।
आखिर क्यों हो रहा है मजहब तब्दील
मजहब तब्दील को लेकर जहां मुल्क के राजनेता सांसद भवन में व आम आवाम चाय-पान की दुकान पर मजहब तब्दील पर चर्चा करते थक नहीं रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ किसी ने भी इसके सुबूत को जानने की जहमत नहीं उठाना जरूरी समझा। पुरैनी ब्लॉक के कुरसंडी पंचायत के तहत दीना टोला में चल रहे प्रभु ईसा मसीह सेंटर के बारे में जो कुछ भी वहां मौजूद लोगों ने बताया उससे तो यही मालूम होता है कि बीमारी व गरीबी की मार झेल रहे ज़्यादातर लोग चाहे वह किसी तबके के हों उन पर दीगर दूसरे तबकों की तरफ से उनके घावों को मरहम लगा कर या उन्हें मजहब तब्दील के लिए काम कर रहे हैं।
गया में 40 महादलित खानदान बने ईसाई, सबने खुद से लिया फैसला
वजीरे आला जीतन राम मांझी के जिले में जुमेरात को 40 खानदान ने मजहब तब्दील कर लिया। बोधगया के अतिया गांव में महादलितों का 75 खानदान है। इनमें से 35 खानदान 2008 में ही ईसाई मजहब तब्दील अपना चुका है। बाकी बचे खानदानों ने भी एक इजतेमाई प्रार्थना सभा में ईसाई मजहब अपना लिया। ईसाई मजहब इश्तिहार करने वाले ब्रदर राजकिशोर ने कहा कि लोगों ने खुद से यह फैसला लिया है।
कोई किसी मजहब को माने। इसके लिए तमाम को आज़ादी है। लेकिन हम यह देखेंगे कि बिहारी इज्ज़त और वतन परस्ती के फी उनकी मकबूलियत है या नहीं। फिर भी इस वाकिया की जांच कराएंगे।
जीतन राम मांझी, वज़ीर आला