बीवी की मंजूरी के बिना दूसरे निकाह पर जल्द होगा फैसला

अहमदाबाद. गुजरात हाई कोर्ट इस बात पर फैसला सुनाएगी कि क्या मुसलमानों में पहली बीवी की मंजूरी के बिना दूसरा निकाह गैरकानूनी है या नहीं? जस्टिस जे बी पारडीवाला ने इस मुद्दे पर दायर दरखास्त पर मुताल्लिक फरीक की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला महफूज़ रखा.

मामले के मुताबिक भावनगर की एक मुस्लिम खातून ने दूसरा निकाह करने वाले अपने शौहर के खिलाफ कानूनी जंग छेड़ दी है. इस खातून ने अपने शौहर के दूसरे निकाह के कानूनी जवाज़ को हाई कोर्ट में चुनौती दी है.

मामले के मुताबिक भावनगर की मुस्लिम खातून ने छत्तीसगढ़ के रायपुर के साकिन के साथ निकाह किया था. इस शादी से एक बेटी पैदा हुई. इसके बाद नौजवान ने पहली बीवी की मंजूरी के बिना दूसरी शादी कर लिया.

दरखास्त में यह कहा गया कि पहली बीवी के रहते हुए दूसरी शादी यानी निकाह करना ताजीरात ए हिंद की दफा 494 के तहत जुर्म है. इसलिए इस मामले में शौहर के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

इस मामले में अदालत दोस्त की शक्ल में एम टी एम हकीम की रहनुमाई ली गई जिसमें उन्होंने कुरान की आयतों का हवाला देते हुए कहा कि मज़हब इस्लाम में दूसरा निकाह करना जुर्म नहीं होता है.