बीवी की मर्जी के बगैर सेक्‍स रेप नहीं’

नई दिल्ली, 02 मार्च: बीवी की मर्जी के बगैर उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने को रेप/इस्मतरेज़ि मानने की जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिश को मरकज़ी हुकूमत के बाद पार्लियामेंट की मुस्तकिल कमेटी ने भी नकार दिया है।

कमेटी ने कहा है कि हिंदुस्तान में शादी एक इदारे की तरह है, जिसमें शौहर और बीवी के रिश्तों के बीच इस तरीके का शराइत या कानून कुबूल नहीं होगा। कमेटी हुकूमत के उस फैसले से सहमत है, जिसमें वर्मा कमेटी की इस सिफारिश को दरकिनार कर दिया गया था।

वज़ारत ए दाखिला से जुड़ी पारलीमानी कमेटी ने कल (जुमा) को राज्यसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में अज़दवाजी इस्मतदरी (मैरिटल रेप) पर हुकूमत की राय को सही माना है। कमेटी के सदर वेंकैया नायडू ने बताया कि हुकूमत ने वर्मा कमेटी की सिफारिशों को भी कमेटी के पास भेजा था।

नायडू ने बताया कि कमेटी के दो मेम्बर को छोड़कर दूसरे सभी ने माना कि हिंदुस्तान की शादी इदारे (Marriage institution) की अपनी खाशियत है और उसे बचाए रखने की जरूरत है। नायडू ने दलील दी कि मैरेज लाइफ में रेप के मामलों को जुर्म के जुमरे में रखने से खानदानी निज़ाम बिगड़ने का संगीन खतरा है।

हालांकि कमेटी ने तलाक की कानूनी अमल के दौरान शौहर के तरफ से बीवी पर किए गए जिंसी ज़्यादती को Cognizable offense माने जाने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि कमेटी के ज़्यादातर मेम्बरो का मानना है कि शादी के ताल्लुकात में बंध जाने के बाद दोनों की जिस्मानी ताल्लुकात के लिए इत्तेफाक़ (Consent) है।

जस्टिस जेएस वर्मा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में मैरिटल रेप में शौहर को दी गई सेक्युरिटी को खत्म करने की सिफारिश की थी। मैरिटल रेप उस जिस्मानी ताल्लुकात को माना जाता है जिसमें बीवी की सहमति के बिना शहर जिस्मानी ताल्लुकात (Physical connection) बनाता है।

कमीशन ने यूरोपियन कमीशन के इंसानी हुकूक कमीशनके साथ कनाडा, जुनूबी अफ्रीका और आस्ट्रेलिया के सुबूतों का हवाला देते हुए हुकूमत से कहा था कि बिना सहमति के बनाए गए ताल्लुकात को अज़दवाजी ताल्लुकात में भी रेप माना जाना चाहिए। और उसके लिए वही सजा होनी चाहिए तो अज़दवाजी ताल्लुकात से इतर की होती है।

पार्लीमानी कमेटी ने सिफारिश की है कि आबरूरेज़ि और कत्ल के मामलों के कुसूरवारों की रहम की दरखास्तों पर सुनवाई ही नहीं की जानी चाहिए। अगर ऐसे किसी मामले में कुसूरवार को माफी दी भी जाती है तो फिर इसकी वजह भी आम की जानी चाहिए। कमेटी ने कहा है कि इस्मतरेज़ि और कत्ल के गुनाहगार रहम के हकदार नहीं हैं। उन्हें हर कीमत पर सख्त सजा मिलनी चाहिए।

कमेटी ने चार बलात्कारियों को माफ कर देने वाली साबिक सदर प्रतिभा पाटिल के फैसले पर भी कमेटी ने बिलवास्ता सवाल उठाए हैं।

कमेटी ने अपनी सिफारिशों में यह भी कहा है कि रहम वाले दरखास्तों का निपटारा हर हाल में तीन माह के अंदर किया जाना चाहिए। ताकि गुनाहागार ताखीर का बहाना लेकर सजा माफ करने की अपील नहीं कर सकें।