नई दिल्ली ०६ जनवरी (पी टी आई) वज़ीर-ए-दाख़िला पी चिदम़्बरम ने आज बॉर्डर सीकोरीटी फ़ोर्स (BSF) के लिए ई ऑफ़िस के 229 करोड़ रुपय मालीयाती प्रोजेक्ट का इफ़्तेताह किया, जिस के ज़रीया बी ऐस एफ़ को इंतिज़ामी उमूर और दीगर महिकमा जाती कामों के लिए ऑनलाइन रसाई में आसानी पैदा होगी।
मज़कूरा प्रोजेक्ट को इंटरनैट पर जारी प्रोजेक्ट (IPP) से मौसूम किया गया है जिसे अब मर्कज़ी पुलिस फ़ोर्स के 237 महल वक़ूअ (लोकेशन) तक तौसीअ दी गई है जिस से बी ऐस एफ़ के 1.98 लाख मुलाज़मीन इस्तिफ़ादा कर सकेंगे।
इफ़्तिताह के मौक़ा पर मसरूर नज़र आ रहे चिदम़्बरम ने कहा कि मुझे बी एस एफ़ को इस बात की दिल्ली मुबारकबाद देना है कि फ़ोर्स में अब तमाम काम तेज़ी से निमटाने केलिए एक ग़ैरमामूली और कारआमद आला उन के हाथ लग गया, जिस से इंतिज़ामी उमूर को तेज़ी के साथ पाया-ए-तकमील तक पहुंचाया जा सकेगा और बी ऐस एफ़ कोई मामूली इदारा नहीं बल्कि मुल्क के तमाम सरहदी इलाक़ों में इन की मौजूदगी उतनी ही ज़रूरी है कि जितनी कि ज़िंदगी के लिए सांस लेना।
मज़कूरा प्रोजेक्ट के ज़रीया तमाम सैक्टर हेडक्वार्टर्स, फ़र्र नेटर हेडक्वार्टर्स और फ़ोर्स की तमाम बटालियनस को एक दूसरे से मरबूत कर दिया जाएगा। बी एस एफ़ के 1.90 लाख मुलाज़मीन के शख़्सी कवाइफ़ अब इंटरनेट पर बह आसानी दस्तयाब रहेंगी, जिस में तनख़्वाह, एलाउंसेस, टैक्स का मिन्हा, रुख़स्तों और दीगर तमाम दफ़्तरी मालूमात अब आसानी से हासिल हो सकेगी, जहां तक इंतिज़ामी अमोर का सवाल है तो एकाउंट्स सिस्टम को मुकम्मल तौर पर कंप्यूटराईज़ड करदिया जाएगा। इलावा अज़ीं फ़ौजीयों की हरकात-ओ-सकनात, उन की ताय्युनाती के अमल को आसान बनाने के इलावा फ़ौरी ये भी पता लगाया जा सकता है कि फ़ुलां फ़ौजी अब फ़ुलां जगह पर मौजूद है।
फ़ैसला साज़ी भी आसान हो जाएगी। फ़ोर्स कमांडरस और सैक्टर कमांडरस भी एक दूसरे से राबिता में रहते हुए दो रह कर भी क़रीबतर हो जाएंगे। हेडक्वार्टर्स में बी एस एफ़ के सीनीयर अफ्सरान से कभी कभी राबिता पैदा करना मुश्किल हो जाता है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।