कर्नाटक में बी जे पी हुकूमत के वुज़रा की जानिब से ऐवान असेंबली में फ़हश फ़िल्म बेनी का मुआमला अभी थमा नहीं और इसकी तहकीकात जारी ही हैं कि अब गुजरात के बी जे पी अरकान असेंबली पर भी ऐवान असेंबली में फ़हश फ़िल्म बेनी करने का इल्ज़ाम सामने आया है और इस की तहकीकात का भी आग़ाज़ होने वाला है ।
इन अरकान असेंबली को भी ऐवान की रकनीत से ना अहल क़रार देने के लिए अपोज़ीशन के मुतालिबात में शिद्दत पैदा हो गई है । कर्नाटक में एक टी वी चैनल ने अपनी रिपोर्ट में इन्किशाफ़ किया था कि बी जे पी के दो वुज़रा ऐवान में फ़हश फ़िल्म बेनी में मसरूफ़ थे । ये मामला पूरे ज़ोर-ओ-शोर से उठा था लेकिन बी जे पी हुकूमत ने हसब रिवायत दीगर स्क़ामस-ओ-स्कैंडल्स की तरह इस मामला को भी दबाने में कामयाबी हासिल कर ली थी । हालाँकि अभी ये मामला पूरी तरह से दबा नहीं है और अब गुजरात में अरकान असेंबली की फ़हश फ़िल्म बेनी का तनाज़ा पैदा हो गया है ।
अभी गुजरात हुकूमत की जानिब से इस ताल्लुक़ से किसी तरह के रद्द-ए-अमल का इज़हार नहीं किया गया है लेकिन यही उम्मीद की जा सकती है कि गुजरात की हुकूमत भी इन इल्ज़ामात को मुस्तर्द करते हुए दिखावे के लिए मामूली किस्म की तहकीकात करवाएगी और फिर मामला हमेशा के लिए बंद हो जाएगा। अपोज़ीशन जमातों की जानिब से फ़हश फ़िल्म बेनी करने वाले अरकान असेंबली को ऐवान की रकनीत से बरख़ास्त करने के लिए मुहिम चलाई जाती रहेगी लेकिन ये उम्मीद नहीं की जा सकती कि गुजरात की हुकूमत ऐसा कोई इक़दाम करेगी ।
जहां अपोज़ीशन जमाअतें इस मसला पर सयासी फ़ायदा हासिल करने की कोशिश करेंगी वहीं हुकूमतें उस को दबाते हुए अपनी इमेज को साफ़ करने केलिए सरगर्म हो जाएंगी । इस सारे कोशिश में एक चीज़ जो सब से ज़्यादा मुतास्सिर होगी और दुनिया भर में इसका तज़किरा हो सकता है वो हिंदूस्तानी कल्चर है । इन अरकान असेंबली ने क़वाइद-ओ-उसूलों के मुताबिक़ भले ही कोई जुर्म ना किया हो और शायद वो सज़ा से भी बच जाएं लेकिन उन्हों ने हिंदूस्तानी कल्चर और यहां की तहज़ीब की धज्जियां उड़ा दी हैं और इसके लिए शायद ही कोई सज़ा ऐसी हो जो काफ़ी क़रार दी जा सके ।
फ़हश फ़िल्म बेनी वो भी ऐवान असेंबली में जहां हर तरह के क़ानून बनते हैं एक ऐसा दाग़ है जिसके धब्बे धुलना बज़ाहिर मुम्किन नहीं है । ये इंतिहा दर्जा की अख़लाक़ और इक़दार से गिरी हुई हरकत है और इसके लिए सख़्त तरीन सज़ा तजवीज़ की जानी भी ज़रूरी है ।
हैरत और दिलचस्पी की बात ये है कि हिंदूस्तानी कल्चर और सक़ाफ़्त और तहज़ीब की धज्जियां इसी पार्टी के अरकान असेंबली उड़ा रहे हैं जो पार्टी सारे मुल्क में और मुल्क के अवाम के सामने हिंदूस्तानी कल्चर की दुहाई देती रहती है । कभी वैलंटाइन डे की मुख़ालिफ़त कभी पब कल्चर की मुख़ालिफ़त और कभी किसी और नाम से अवामी ज़िंदगी को दिरहम ब्रहम करने के इक़दामात इस पार्टी और इस की हम कबील तनज़ीमों के कारकुनों की जानिब से की जाती हैं।
इन कारकुनों के इक़दामात को पार्टी और तंज़ीमों की क़ियादत की जानिब से हिंदूस्तानी कल्चर और सक़ाफ़्त की हिफ़ाज़त के नाम पर जायज़ क़रार देने की कोशिशें भी की जाती हैं और अब इसी पार्टी के अरकान असेंबली जो हद दर्जा ज़िम्मेदार होने चाहिऐं इवान असेंबली ही में हिंदूस्तानी कल्चर की धज्जियां उड़ाने में मसरूफ़ हैं और पार्टी क़ियादत की जानिब से किसी तरह की कार्रवाई से गुरेज़ करना इस के दोहरे म्यारात को ज़ाहिर करता है ।
पार्टी क़ियादत की जानिब से हिंदूस्तानी कल्चर की धज्जियां उड़ाने वाले अरकान असेंबली के ख़िलाफ़ किसी तरह की अदम कार्रवाई ख़ुद पार्टी क़ियादत की हिंदूस्तानी कल्चर के तुएं संजीदगी को भी ज़ाहिर करती है । ये भी वाज़िह हो जाता है कि पार्टी हर तरह के नारे महिज़ अपनी सयासी दूकान चमकाने और सयासी फ़ायदा हासिल करने के लिए देती है और हक़ीक़त में उसे किसी भी नारे यह किसी भी उसूल या क़ायदे से कोई दिलचस्पी नहीं है । सयासी फ़ायदा हासिल करने के मक़सद से वैसे भी सयासी जमातें तरह तरह के हथकंडे इख्तेयार करती हैं और अवाम को बेवक़ूफ बनाने के लिए हर हद से गुज़र जाने से गुरेज़ नहीं करतीं लेकिन मुल़्क की शनाख़्त पर सौदा और उसके कल्चर और सक़ाफ़्त को नुक़्सान पहूँचाने का ये शायद अपनी नवीत का पहला वाक़्या होगा जिसमें अरकान असेंबली ने मुल़्क की तहज़ीब को क़ानून बनाने जैसे मुक़द्दस और जम्हूरियत के अलमबरदार इदारे में बैठ कर दागदार किया है ।
इसकी मिसाल आज़ाद हिंदूस्तान की तारीख में अब तक मिलनी मुश्किल ही नहीं ना मुम्किन कही जा सकती है ।
मुल्क में हुब्बुल वतनी क़ौम परस्ती क़ौमी कल्चर-ओ-सक़ाफ़्त की दहाई देने वाली जमात के अरकान असेंबली इसी ओछी और अख़लाक़ से गिरी हुई हरकतें करते हैं इस के बावजूद पार्टी की क़ियादत की जानिब से उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जाती बल्कि क़ानून-ओ-उसूलों में पाई जाने वाली खामियों से फ़ायदा उठाते हुए उन्हें बचाने की कोशिश की जाती है ।
ये भी सयासी दियानत और अख़लाक़ से गिरी हुई हरकत है । अब मुल्क के अवाम और खासतौर पर इन रियासतों के अवाम को जहां बी जे पी बरसर ए इक़्तेदार है ये सोचना चाहीए कि मुल़्क की तहज़ीब-ओ-सक़ाफ़्त को दागदार करने वाली जमात को अपने वोट के ज़रीया क्या सबक़ सिखाया जाए । जब तक अवाम अपनी ताक़त का इस्तेमाल करते हुए इस तरह के दोहरे म्यारात इख्तेयार करने वाली जमातों को सबक़ सिखाने का फैसला और तैह्या नहीं करेंगे उस वक़्त तक इस तरह की हरकतों को रोकना यह उन पर क़ाबू पाना मुम्किन नहीं होगा।