बी जे पी का मोदी पर इन्हिसार

मुल्क की सब से बड़ी अपोज़ीशन जमात एसा लगता है कि अवामी मसाइल के फ़ुक़दान का शिकार है और इस के पास अवाम की फ़लाह-ओ-बहबूद के लिए भी कोई एजेंडा या स्कीम ऐसी नहीं रह गई है जिस की बुनियाद पर वो अवाम से रुजू हो सके और उन की ताईद हासिल करने की कोशिश की जा सके ।

यही वजह है कि हालिया अर्सा में बी जे पी एक बार फिर हिंदूत्वा की जानिब लौटती नज़र आई है और हिंदूतवा मसाइल को हवा देने की कोशिश की जा रही है । ये कोशिशें भी उत्तर प्रदेश जैसी हस्सास रियासत में भी ज़्यादा असर दिखाने में कामयाब नहीं हो सकी हैं और बी जे पी को एसा लगता है कि इस के सब से असल और अहम लीडर एल के अडवानी से भी मायूसी हो गई है जिस के नतीजा में वो अब नरेंद्र मोदी की जानिब उम्मीद अफ़्ज़ा नज़रों से देखने लगी है ।

हालिया अर्सा में एक से ज़ाइद मर्तबा ये साबित होगया है कि बी जे पी अवामी ताईद-ओ-हिमायत के हुसूल के लिए नरेंद्र मोदी पर ही इन्हिसार करने लगी है । पहले उत्तर प्रदेश में राम मंदिर की तामीर का एक बार फिर वायदा किया गया और पार्टी इंतेख़ाबी मंशूर में उसे शामिल किया गया ।

एल के अडवानी ने भी एक जलसा से ख़िताब करते हुए कहा कि एक शानदार राम मंदिर की तामीर ही उन की ज़िंदगी का सब से बड़ा ख़ाब है । इस के इलावा अक़ल्लीयतों को ज़ेली कोटा तहफ़्फुज़ात की मुख़ालिफ़त का भी ऐलान किया गया और इस ताल्लुक़ से एहितजाजी प्रोग्राम्स मुनाक़िद किए जा रहे हैं।

इन कोशिशों के बावजूद वो उत्तर प्रदेश में वोट बैंक को मुस्तहकम करने में कामयाब नहीं हो सकी है और ये तास्सुर आम होता जा रहा है कि वो मुल़्क की इस सब से बड़ी रियासत में इक़्तिदार की दौड़ में शामिल ही नहीं हो पा रही है और असल मुक़ाबला समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के माबेन ही है ।

हालात को देखते हुए अब ये ऐलान किया गया है कि नरेंद्र मोदी को उत्तर प्रदेश में बी जे पी की इंतेख़ाबी मुहिम चलाने के लिए तलब किया जाएगा । बी जे पी को उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी गुजरात की तरह यू पी में भी ज़हर अफ़्शानी करने में कामयाब होते हैं तो वहां उसे हिन्दू वोट बैंक मुस्तहकम करने और राय दहिंदों की ताईद हासिल करने की कोशिशों में बड़ी हद तक कामयाबी मिल सकती है ।
उत्तरप्रदेश में इंतेख़ाबी मुहिम में नरेंद्र मोदी को शामिल करने के इलावा बी जे पी के सरबराह नीतिन गडकरी ने कल भी ऐलान कर दिया कि मोदी बी जे पी के वज़ारत अज़मी उम्मीदवारों में शामिल हैं ।

उन्होंने हालाँकि बात को घुमा फिराकर करने की कोशिश की कि पार्टी में कई क़ाइदीन हैं जो वज़ारत अज़मी की सलाहियत रखते हैं और मोदी भी इन में शामिल हैं। इसके बावजूद ये वाज़िह हो गया कि बी जे पी अब कट्टर हिंदूत्तवा की पॉलीसी ही पर अमल करने में अपनी मुश्किलों का हल तलाश कर रही है और उसे ये यक़ीन होने लगा है कि नरेंद्र मोदी की ज़हर अफ़्शानी ही उसे मुल्क के अवाम की ताईद दिला सकती है की उनका धीरे धीरे इस का हिन्दू वोट बैंक भी बिखरने लगा है ।

पार्टी के ख़्याल में एल के अडवानी भी अब राय दहिंदों पर इस हद तक असर अंदाज़ होने की कशिश नहीं रखते जितनी उसे दरकार है और पार्टी को एक बार फिर मुल्क में इक़्तेदार हासिल हो सके । उत्तर प्रदेश में ताक़त और अवामी ताईद के बलबूते पर ही बी जे पी को साबिक़ में मर्कज़ में मख़लूत हुकूमत है कि सही इक़तिदार हासिल करने का मौक़ा मिला था ।

अब उत्तर प्रदेश में बी जे पी कहीं भी इक़्तिदार की दौड़ में नज़र नहीं आती । जब इसी रियासत में इस का ये हाल है तो वो मुल्क में इक़्तेदार हासिल करने केलिए नई राहें तलाश करने पर मजबूर होती जा रही है और इसी मजबूरी में वो अल के अडवानी की मौजूदगी में ही मोदी को वज़ारत अज़मी उम्मीदवार के तौर पर पेश करने लगी है ।

हालाँकि पार्टी ने इस ताल्लुक़ से रास्त यह वाज़िह तौर पर कुछ भी नहीं कहा है लेकिन इस ने बिलवास्ता तौर पर अपने हिन्दू वोट बैंक को मुस्तहकम करने की सिम्त कोशिशें शुरू कर दी हैं । यू पी के इलावा बी जे पी को महाराष्ट्रा में भी मायूसी हाथ आ रही है जहां एक और कट्टर हिन्दू जमात शिवसेना से इस का इत्तेहाद है लेकिन वहां कांग्रेस और उन सी पी इत्तेहाद ने बी जे पी । सेना ज़ाफ़रानी इत्तिहाद को इक़्तेदार की सिम्त बढ़ने से गुज़शता दो मयादों से कामयाबी के साथ रोका है और ये रुकावट भी बी जे पी के असल मंसूबों को दिरहम ब्रहम करने का असल सबब है ।

मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी बी जे पी दरकार अवामी ताईद हासिल नहीं कर पा रही है ।
अब जबकि ज़राए इबलाग़ की इत्तिलात में इद्दिआ किया जा रहा है कि गुजरात के मुस्लिम कश फ़सादाद में मोदी के रोल के ताल्लुक़ से एस आई टी ने रिपोर्ट पेश कर दी है और इस में मोदी को क्लीन चिट दे दी गई है तो बी जे पी ने उसी दिन ऐलान कर दिया कि मिस्टर मोदी पार्टी के वज़ारत अज़मी उम्मीदवारों में शामिल हैं।

बी जे पी का ये फ़ौरी रद्द-ए-अमल दर असल उस की बौखलाहट को ज़ाहिर करता है । ये ऐलान इस बात का भी सबूत है कि बी जे पी महिज़ हिंदूत्वा एजेंडा और हिंदूत्वा नज़रिया को हवा देते हुए इक़्तेदार की कुर्सी हासिल करना चाहती है हालाँकि इसी हिंदूत्वा पॉलीसी का नतीजा है कि इस पार्टी को अचानक मिलने वाली अवामी ताईद बतदरीज घटती गई है और वो अब अवाम की ताईद-ओ-हिमायत से इस हद तक महरूम हो गई है कि उसे नरेंद्र मोदी के गर्द अपनी उम्मीदें बांधने पर मजबूर होना पड़ा है ।

जहां तक मोदी का सवाल है वो भी पार्टी की इस मजबूरी का इस्तिहसाल कर रहे हैं और अपने मुस्तक़बिल के अज़ाइम को पूरा करने केलिए पार्टी में अंदरूनी तौर पर शतरंज की चालें चल रहे हैं ताहम उन की कामयाबी भी यक़ीनी नहीं कही जा सकती ।