अमरीका की नैशनल स्कियोरटी एजेंसी (एन एस ए)की तरफ़ से बी जे पी की जासूसी की बात सामने आने के बाद हकूमत-ए-हिन्द ने इस पर गहरी नाराज़गी ज़ाहिर की है। वज़ारत-ए-ख़ारजा में आज आली अमेरीकी सिफ़ारतकार को तलब करके कहा गया कि किसी हिंदूस्तानी तंज़ीम या हिंदूस्तानी शख़्स की प्राईवेसी की ख़िलाफ़वर्ज़ी करना मुकम्मल तौर पर नाक़ाबिल-ए-क़बूल है।
हुकूमत ने अमेरीका से कहा है कि उसे इस बात की यक़ीन दहानी करानी चाहीए कि मुस्तक़बिल में ऐसा नहीं होगा।हुक्काम ने ताहम ये नहीं बताया कि वज़ारत-ए-ख़ारजा की तरफ़ से तलब किया गया अमेरीकी सफ़ीर कौन है।
अभी हिंदूस्तान में अमेरीका की उबूरी सफ़ीर कैथलीन स्टपफ़ीस हैं जो साबिक़ अमरीकी सफ़ीर नेन्सी पावेल की तरफ़ से अपने ओहदा से इस्तीफ़ा दिए जाने के बाद आई हैं। गौरतलब है कि एन ए एस पब्लीकेशन के साबिक़ ठेकेदार एडवर्ड अस्नोडीन की तरफ़ से अमेरीकी अख़बार वाशिंगटन पोस्ट को लीक किए गए खु़फ़ीया दस्तावेज़ात से पता चला है कि एन ए सए को एक अमरीकी अदालत ने 2010में बी जे पी समेत दुनिया की छः सियासी जमातों पर नज़र रखने को कहा था।
इस फ़हरिस्त में बी जे पी के इलावा दीगर ग़ैर मुल्की सियासी जमातों में लेबनान की तंज़ीम, बोलवीरीन कनटनेंटल कोआर्डिनेटर आफ़ वैनज़ुवेला, मिस्र की अख़वान अल मुस्लिमीन , अपोजिशन नैशनल सॉल्वेशन फ्रंट और पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी शामिल हैं। एन एसए ने उन पर नज़र रखने के लिए फ़ौरन इन्टेलीजेंस सर्विलांस कोर्ट से इजाज़त मांगी थी।वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि इन तंज़ीमों पर एन एसए ग़ैर मुल्की इन्टेलीजेंस मालूमात जमा करने के मक़सद से नज़र रख सकती है |