जनता के दरबार में मुख्य मंत्री के मौक़े पर अख़बारी नुमाइंदों से बात चीत
अब जब कि बी जे पी और शिवसेना अपनी 25 साला तवील रिफ़ाक़त को हमेशा के लिये ख़त्म करने वाले हैं। वज़ीरे आला बिहार जतिन कुमार मांझी ने आज शिवसेना से इज़हार-ए-हमदर्दी करते हुए बी जे पी को नाक़ाबिल एतेमाद क़रार दिया। उन्होंने गुज़िशता साल जून में जे डी ( म्यू ) के बी जे पी से इत्तेहाद तोड़ लेने के अमल को मुंसिफ़ाना क़रार दिया।
जनता के दरबार में मुख्य मंत्री के मौक़े पर अख़बारी नुमाइंदों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इत्तेहाद के लिये दरकार जिन उसूल-ओ-ज़वाबत की ज़रूरत होती है, बी जे पी ने हमेशा उसकी और मुल्क के दस्तूर की ख़िलाफ़वरज़ी की। आम तौर पर ये सोच पाई जाती है कि साबिक़ वज़ीरे आला नीतीश कुमार ने जे डी (यू ) का बी जे पी से इत्तेहाद इस लिये तोड़ा क्यों कि वो ( नीतीश ) मोदी को अपना सब से बड़ी हरीफ़ समझते थे जब कि हक़ीक़त ये नहीं है।
ये फैसला सिर्फ़ नीतीश कुमार का ही नहीं बल्कि पार्टी की क़ौमी आमिला का भी था जो ज़ाफ़रानी जमात से इत्तेहाद ख़त्म करने की ख़ाहां थी । बिहार से आठ वुज़रा को नरेंद्र मोदी काबीना में शामिल करने का प्रोपगंडा करने पर मांझी ने बी जे पी को हदफ़ तन्क़ीद बनाते हुए कहा कि बात सिर्फ़ तादाद की नहीं है।
नरेंद्र मोदी काबीना में कल जो तौसीअ की गई है इस में बिहार के किसी भी क़ाइद को शामिल नहीं किया गया है। पहली बार इंतेख़ाबात जीतने वाले जैसे स्मृति ईरानी को काबीनी दर्जा का वज़ीर बनाया गया जब कि तजुरबेकार और काबिल सियासतदां राजीव प्रताप रूदी जो क़ब्ल अज़ीं मर्कज़ी वज़ीर भी रह चुके हैं को नज़रअंदाज करदिया गया।
यही नहीं बल्कि लोक सभा के मुसलसल चौथी बार रुकन बनने वाले राम कृपाल यादव को भी रियासती वज़ीर का दर्जा दिया गया है। मांझी ने बी जे पी के इस दावा को भी मुस्तरद करदिया जहां ये कहा जा रहा था कि बी जे पी ख़ानदानी सियासत की ताईद नहीं करती और इस के लिये उन्होंने जयंत सिन्हा का नाम लिया जो साबिक़ वज़ीर और सीनियर बी जे पी क़ाइद यशवंत सिन्हा के फ़र्ज़ंद हैं।
उन्होंने बिहार में तरक़्क़ियाती कामों के लिये मुख़तस फंड्स में 7000 करोड़ रुपये की तख़फ़ीफ़ किये जाने पर भी मर्कज़ी हुकूमत को हदफ़ तन्क़ीद बनाया। मांझी ने कहा कि इस के लिये उन्होंने वज़ीरे आज़म से मुलाक़ात का वक़्त मांगा है ताकि वो वज़ीरे आज़म को उन के मुतअद्दिद वादों की याद दहानी करवा सके जिन में बिहार को ख़ुसूसी रियासत का दर्जा और पैकेज दिया जाना भी शामिल है।