बी जे पी रुकन के रिमार्क पर स्मृति ईरानी की बरहमी

नई दिल्ली

बी जे पी के एक रुकन ने मुल्क में ख़वांदगी की सतह पर श्रम आनी चाहिए, कहते हुए आज ख़ुद अपनी ही पार्टी की हुकूमत को उलझन में डाल दिया और इस रुकन को मर्कज़ी वज़ीर स्मृति ईरानी कि डांट का सामना करना पड़ा।

जब उन्होंने रुकन से कहा कि वो एहतेयात के साथ अलफ़ाज़ का इंतेख़ाब करें। लोक सभा में वकफ़ा-ए-सवालात के दौरान बी जे पी रुकन नशीकानत दूबे ने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के इदारा बराए तालीम, मुआशरा-ओ-सक़ाफ़्त (यूनेस्को) की एक रिपोर्ट की तफ़सीलात बताते हुए कहा कि मुल्क में ख़वांदगी की कम सतह पर हकूमत-ए-हिन्द को श्रम आनी चाहिए।

लेकिन बी जे पी रुकन ने फ़ौरी तौर पर ये भी कह दिया कि ये उन की पार्टी की ज़ेर-ए-क़ियादत मौजूदा हुकूमत की ग़लती नहीं है बल्कि साबिक़ यू पी ए हुकूमत की ग़लती है। उन के रिमार्क पर अमलन बरहम वज़ीर फ़रोग़ इंसानी वसाइल स्मृति ईरानी ने कहा कि रुकन को चाहिए कि वो ख़िताब के दौरान मुहतात रहें।

स्मृति ईरानी ने कहा कि आप जलद सवाल करें। जब आप ये कहते हैं कि हकूमत-ए-हिन्द को शराम आनी चाहिए तो आप को एहतियात से काम लेना होगा क्योंकि इस सूरत में मौजूदा हुकूमत का अहाता भी होता है। स्मृति ईरानी ने कहा कि रुकन मौसूफ़ सवाल करने के बजाय तवील तक़रीर कररहे हैं।

स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी कहा कि हर किसी को ज़िम्मेदारी के साथ मुख़ातब करना चाहिए। ज़बान और अलफ़ाज़ के इंतेख़ाब के बारे में अरकान को ख़बरदार करते हुए स्पीकर ने कहा कि तालीम जैसे मसाइल पर इज़हार-ए-ख़्याल करते हुए जब हम हिन्दुस्तान को श्रम आनी चाहिए जैसे अलफ़ाज़ करते हैं तो ज़िम्मेदारी से बातचीत करना होगा। उन्होंने कहा कि हम अवामी नुमाइंदे हैं। हम आम अफ़राद नहीं हैं। जब आप सवाल करते हैं तो बराए मेहरबानी थोड़ी तवज्जे करें।