बी जे पी हुकूमत के लिए नामुमकिन है कि दस्तूर की दफ़ा 370 को मंसूख़ करदे जो रियासत जम्मू-ओ-कश्मीर को ख़ुसूसी मौक़िफ़ अता करती है। उमर अबदुल्लाह ने आज कहा कि इस बारे में दानिस्ता तौर पर उलझन पैदा की जा रही है। इस से रियासती अवाम मज़ीद अलग थलग होजाएंगे।
उन्होंने कहा कि दस्तूर साज़ असेम्बली ने जम्मू-ओ-कश्मीर के हिन्दुस्तान से अल-हाक़ की मंज़ूरी दी थी, अगर आप ये सवाल दुबारा उठाना चाहते हैं तो आप को दस्तूर साज़ असेम्बली का अहया करना होगा। इस के बाद ही बातचीत मुम्किन है। चीफ़ मिनिस्टर जम्मू-ओ-कश्मीर, वज़ीर-ए-ममलकत बराए दफ़्तर वज़ीर-ए-आज़म जितिंदर सिंह के साथ इस तनाज़े पर रद्द-ए-अमल ज़ाहिर कररहे थे कि दस्तूर की दफ़ा 370 जारी रखने या मंसूख़ करदेने के बारे में अवाम से रब्त पैदा करके राय आम्मा मालूम की जाएगी।
उमर अबदुल्लाह ने कहा कि मर्कज़ को रियासत के साथ ताल्लुक़ात मुस्तहकम बनाने चाहिऐं लेकिन ऐसे किसी इक़दाम से जम्मू-ओ-कश्मीर के अवाम मज़ीद अलग थलग होजाएंगे। उन्होंने कहा कि मर्कज़ । रियासत ताल्लुक़ात के इस्तेहकाम का ये तरीक़ा नहीं है, इस से ख़लीज मज़ीद वसीअ होजाएगी।
उन्होंने कहा कि वो बी जे पी की सियासी मजबूरीयों को समझते हैं लेकिन पहले जम्मू-ओ-कश्मीर पर ज़रब लगाने के बजाय दीगर पर तवज्जे मर्कूज़ करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दस्तूर की दफ़ा 370 से क़ब्ल महाराजा ने जम्मू के अवाम को बचाने के लिए क़वानीन नाफ़िज़ किए थे।
उनको दौलतमंद पंजाबीयों से ख़तरा लाहक़ था कि वो रियासत की अराज़ी खरीदेंगे। उन्होंने कहा कि आप इन रियासती क़वानीन के साथ खिलवाड़ करना चाहते हैं। ऐसी सूरत-ए-हाल में कोई भी कश्मीर नहीं आएगा। उमर अब्दुल्लाह ने रियासती क़वानीन की तंसीख़ के इमकान को मुस्तरद कर दिया।
उन्होंने कहा कि ये मुल्क की वाहिद रियासत नहीं है जहां ये क़ानून नाफ़िज़ है। दीगर रियासतें भी हैं जहां ऐसे ही क़वानीन मौजूद हैं लेकिन कोई भी उन के बारे में बात नहीं करता। चीफ़ मिनिस्टर ने बी जे पी ज़ेर-ए-क़ियादत एन डी ए हुकूमत को चैलेंज किया कि वो दस्तूर की दफ़ा 370 मंसूख़ करने की कोशिश करके देख ले।
उमर अब्दुल्लाह के तबसरे पर रद्द-ए-अमल ज़ाहिर करते हुए आर एस एस के सीनियर क़ाइद राम माधव ने कहा कि रियासत जम्मू-ओ-कश्मीर हमेशा हिन्दुस्तान का जज़ोलाएनफ़क रही है और उस वक़्त जबकि ये दफ़ा मौजूद नहीं थी, राम माधव ने चीफ़ मिनिस्टर से सवाल किया कि वो क्या इस रियासत को अपनी आबाई ममलकत समझते हैं।
सी पी आई ने दस्तूर की दफ़ा 370 को कश्मीर के हिन्दुस्तान से अल-हाक़ की शहा रग से ताबीर करते हुए इंतेबाह दिया कि दस्तूर में किसी के ख़ाहिशात और उमनगों की ख़ातिर छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। पार्टी की मर्कज़ी सेक्रेटरी ने हुकूमत से कहा कि वो दस्तूर की दफ़ा 370 के बारे में उजलत में कोई फ़ैसला ना करे, ये एक नाज़ुक सियासी मसला है और इस से दस्तूर बनाने वालों को ज़िम्मेदारीयों का एहतेराम करते हुए एहतियात के साथ निमटा जाना चाहिए। सी पी आई का ये बयान जम्मू-ओ-कश्मीर के चीफ़ मिनिस्टर और वज़ीर-ए-ममलकत जितिंदर सिंह के बयानात के पस-ए-मंज़र में सामने आया है।