हमारे मुआशरा में अख़लाक़ी गिरावट का ये हाल होगया है कि हर रोज़ कोई ना कोई इबरतनाक वाक़िया हमारे सामने आरहा जहेज़ के नाम पर लड़कियों को ज़िंदा जला डालना उन्हें ख़ुदकुशी यह ख़ुद सोज़ी पर मजबूर करना , लड़के वालों के ख़िलाफ़ बे बुनियाद इल्ज़ामात के तहत जहेज़ हिरासानी और घरेलू तशद्दुद के क़वानीन के तहत मुक़द्दमात दर्ज करवाना , नौजवान नसल की बेराह रवी के इसे दर्जनों वाक़ियात हैं जिस से मुआशरा में पैदा होरहे बिगाड़ और उस की संगीनी का एहसास होता है लेकिन अफ़सोस कि कोई भी आगे बढ़ कर मुआशरा में सुधार लेने की कोशिश नहीं करना चाहता ।
आज हर घर में ये बताने की ज़रूरत है कि हम नबी आखिरुज़्ज़मां (PBUH) की वो उम्मत है जिस से ख़ैर की उम्मीद की जाती है । अच्छाई भलाई नेकी ही उस की पहचान है । उल्मा-ओ-मशाइख़ेन की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि वो मुहल्ले में फिर फिर कर लोगों के घरों पर दस्तक देते हुए उन्हें ख़ौफ़ ख़ुदा का एहसास दिलाएं अपनी मक़सद हयात के बारे में बताएं ताके हम हक़ीक़त में ग़ैरों के लिये एक मिसाली नमूना बिन सकें ।
आज सूदखोरी जहेज़ ख़ोरी ग़रज़ हर किस्म की बुराईयों में हम मुबतला हैं जब तक हम अपनी ज़िन्दगियों में पूरी तरह दीन नाफ़िज़ नहीं करते और सुन्नत ए रसूल (PBUH) को नहीं अपनाते उस वक़्त तक ज़िल्लत-ओ-रुसवाई हमारा पीछा नहीं छोड़ेगी । काश हम अच्छे और सच्चे मुसलमान बनते ।।