बुलंदशहर हिंसाः सोची-समझी साजिश के तहत भीड़ ने किया ‘मर्डर’! ये हैं बड़ी वजह

बुलंदशहर के चिंगरावठी गांव में बीते 3 दिसंबर को कथित गोकशी की घटना के बाद 400 लोगों की भीड़ और पुलिस के बीच टकराव में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को गोली मार दी गई. 20 वर्षीय एक अन्य युवक भी इस घटना में अपनी जान गंवा बैठा. घटना के दो दिन बाद जो कहानी सामने आ रही है, उससे प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठते हैं. उत्तर प्रदेश के विपक्षी दल, मीडिया और अन्य सामाजिक संगठन घटना के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी न होने, पुलिस द्वारा आरोपियों का नाम छिपाने जैसे आरोप लगा रहे हैं. इससे लगता है कि किसी सोची-समझी साजिश के तहत इस घटना को अंजाम दिया गया. यह बेवजह नहीं है, क्योंकि घटनास्थल से कुछ समय पहले चिंगरावठी स्थित एक प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों के बयान से इस घिनौनी साजिश की कलई खुलती दिख रही है. हालांकि पुलिस ने घटना के सिलसिले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया है, बावजूद इसके बुलंदशहर में हुई हिंसा की ‘जमीन’ पहले से ही तैयार रखी जाने वाली बातों पर गौर करना जरूरी है.

दरअसल, चिंगरावठी गांव में स्थित प्राथमिक और जूनियर माध्यमिक विद्यालय में 3 दिसम्बर को 150 से अधिक छात्रों को समय से पहले पूर्वान्ह्न 11 बजकर 15 मिनट पर मिड-डे मील यानी मध्यान्ह भोजन दे दिया गया था. मुश्किल से 100 मीटर दूरी पर हो रहे तनाव के बारे में अनजान, यह उन बच्चों के लिए असामान्य था, जिन्हें आमतौर पर स्कूल परिसर में अपराह्र 12.30 बजे भोजन दिया जाता था. स्कूल के शिक्षकों ने जो कुछ वजहें गिनाई हैं, उस पर गौर करें तो भीड़ द्वारा की गई हिंसा से पहले की यह कहानी, स्थानीय प्रशासन की ‘व्यवस्था’ पर सवाल उठाती है.

पहली वजह
रसोइये और मिड-डे मील परोसने वाले राजपाल सिंह ने कहा,‘‘उस दिन, हमें भोजन जल्द वितरित करने और बच्चों को घर भेजने के आदेश मिले थे.’’ इस स्कूल में प्राथमिक कक्षाओं के 107 और जूनियर माध्यमिक के 66 बच्चे हैं. स्कूल सुबह नौ बजे शुरू होकर अपराह्र तीन बजे तक चलता है. प्राथमिक स्कूल के शिक्षक प्रभारी देशराज सिंह ने कहा,‘‘बच्चों को भोजन खिलाये जाने के बाद, उन्हें तुरंत घर भेज दिया गया.’’

 

दूसरी वजह
देशराज सिंह दो शिक्षिकाओं और दो शिक्षामित्रों के साथ कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्रों को पढ़ाते हैं. उमा रानी एक और शिक्षक के साथ कक्षा छह से आठवीं तक के छात्रों को पढ़ाती हैं. दोनों प्राथमिक और जूनियर माध्यमिक सेक्शनों का संचालन उसी स्कूल परिसर से होता है. सिंह ने कहा,‘‘ भीड़ असामान्य रूप से चिल्ला रही थी, यह अप्रत्याशित दिखाई दिया. बेसिक शिक्षा अधिकारी से सुबह 11 बजे एक संदेश पहुंचा था, जिसमें कहा गया था स्थिति इज्तिमा (मुस्लिम समूह) के कारण अच्छी नहीं दिखती है और बच्चों को भोजन दें और उन्हें जल्द छोड़ दिया जाए.’’ बुलंदशहर में तीन दिवसीय इज्तिमा में बड़ी संख्या में लोग जुटे थे. इसका आयोजन हिंसा स्थल से कुछ ही दूरी पर किया गया था. लेकिन स्कूल के निकट मुख्य सड़क वाहनों से जाम थी.

 

तीसरी वजह
देशराज सिंह ने कहा कि बाहर (मेरठ) से आए शिक्षकों को भी जल्द जाने के लिए कहा गया था, ताकि ऐसा न हो कि वे यातायात जाम में फंस जाए. उन्होंने कहा कि सोमवार को स्कूल से हर कोई जल्दी चला गया था और बाद में जिला प्रशासन ने मंगलवार को सभी स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए. जब बुधवार को स्कूल दोबारा खुले तो वहां कोई छात्र नहीं था और देशराज सिंह तथा उमा रानी ने अन्य स्टाफ के साथ उनका इंतजार किया. रानी ने कहा,‘‘निश्चित रूप् से सोमवार से गांव में जारी तनाव के कारण ऐसा था.’’ उन्होंने उम्मीद जताई कि स्थिति में सुधार होगा और बच्चे स्कूल लौट आएंगे.

बजरंग दल संयोजक योगेश राज का वीडियो वायरल
इधर, बुधवार को सोशल मीडिया पर बुलंदशहर हिंसा के आरोपी योगेश राज का एक वीडियो वायरल हुआ. योगेश ने इस कथित वीडियो में खुद को बेकसूर बताते हुए दावा किया है कि जिस समय वहां गोलीबारी हुई, उस समय वह अपने साथियों के साथ स्याना पुलिस थाने में गोकशी की घटना के सिलसिले में शिकायत दर्ज करवा रहा था. खुद को बुलंदशहर में बजरंग दल का जिला संयोजक बताते हुए योगेश ने वीडियो में दावा किया कि गोलीबारी की घटना से उसका कोई लेना-देना नहीं है और वह बेकसूर है. उसने वीडियो में कहा है, ‘‘सोमवार को महाव गांव में गोकशी होने की सूचना मिलने पर मैं अपने साथियों के साथ पहुंचा. प्रशासनिक अमले के लोग भी वहां पहुंचे थे. मामला शांत कराने के बाद हम लोग स्याना थाने में शिकायत दर्ज कराने आए.’’ कथित वीडियो में योगेश ने दावा किया है कि जब वे लोग शिकायत दर्ज करा रहे थे, उसी समय उन्हें पथराव और गोलीबारी होने की खबर मिली. ‘‘थाने में ही पता चला कि गोलीबारी में एक युवक और एक पुलिसकर्मी को गोली लगी है.’’