बुलंदशहर हिंसा : मुस्लिमों पर किए गए गोकशी की FIR में 7 में से 6 नाम फर्जी !

बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में एक गांव में कथित रूप से गौवंश के अवशेष मिलने के बाद हिंसा इतनी उग्र फैल गई थी कि भीड़ ने एक पुलिस इंस्पेक्टर सहित दो लोगों की जान ले ली. इस मामले में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं. पहली एफआईआर योगेश राज नाम के शख्स ने गोकशी के मामले में करवाई है. वहीं दूसरी एफआईआर पुलिस की ओर से हिंसा और इंस्पेक्टर की मौत के मामले में दर्ज की गई है. इस एफआईआर में गोकशी की एफआईआर कराने वाले योगेश राज को ही मुख्य आरोपी बनाया गया है. योगेश राज अभी फरार है, उसे बजरंग दल का नेता बताया जा रहा है.

गोकशी मामले में दर्ज कराई गई एफआईआर में सात लोगों को नामजद किया गया है. एक नामी अखबार ने इस एफआईआर की पड़ताल की. पड़ताल में सामने आया कि सात में से छह नाम बोगस हैं. रिपोर्टर ने ये जानने की कोशिश की कि जो गोकशी के लिए सात लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर लिखी गई है सभी क्या नयाबांस गांव के हैं? ये बात तो साफ हो गई कि सात में से दो नाबालिग बच्चे हैं तो बाकि पांच नाम कौन हैं?

रिपोर्टर की टीम जब गांव में पता करने पहुंची तो पता चला कि शराफत (जिनका नाम एफआईआर में है) पिछले 10 साल से गांव में रहते ही नहीं हैं. वह फरीदाबाद में रहते हैं और कई सालों से गांव भी नहीं आए. बाकी तीन नाम सुदैफ, इलियास और परवेज इस गांव के हैं ही नहीं. न तो इनका यहां घर और न ही जमीन. गांव वालों ने इनका नाम पहले नहीं सुना. आखिरी नाम बचा सर्फुद्दीन का वह पुलिस थाने गए हैं वो गांव के ही हैं. एक बात साफ हो गई है कि सात नाम में से छह नाम बोगस हैं. सवाल यहां यह उठता है कि क्या योगेश राज ने जानबूझकर इनका नाम एफआईआर में डलवाया था?

जिन दो नाबालिग बच्चों का नाम एफआईआर में लिखा गया है, उनकी उम्र 11-12 साल बताई जा रही है. इनमें से एक के पिता से बात की गई. उन्होंने कहा कि दोनों छोटे बच्चे हैं, वे गोकशी कैसे कर सकते हैं. जिस दिन यह घटना हुई, उस दिन दोनों बच्चे बुलंदशहर में थे. मंगलवार को पुलिस ने बच्चों को घंटों थाने में बैठाए रखा. जानबूझ कर माहौल खराब करने के लिए बच्चों को नाम डाला गया है. कुछ लोग जानबूझकर इलाके का माहौल खराब कर रहे हैं.

एडडीटीवी की पड़तान की गई रिपोर्ट