उत्तर प्रदेश की पुलिस ने बुलंदशहर में गोकशी और इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या, दोनों ही मामले के मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार करके केस को सॉल्व करने का दावा किया है। दो अहम केस सॉल्व करने के दावों के बीच पुलिस यह नहीं बता पाई है कि हिंसा के पीछे क्या कोई ‘साजिश’ थी और सुबोध की हत्या जिस पिस्तौल से हुई वह कहां गई?
पुलिस ने गोकशी मामले में सिर्फ इतना कहा है कि बुलंदशहर में 1 और 2 दिसंबर की रात चार गायों के कत्ल के मामले में गिरफ्तार किए गए आठों आरोपियों का कोई पॉलिटिकल कनेक्शन नहीं है। कथित रूप से इसी वजह से वहां हिंसा हुई थी।
इसी तरह, इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या मामले में पुलिस का दावा है कि उसने मामले के मुख्य आरोपी प्रशांत नट को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि इसमें चौंकानेवाली बात यह है कि पुलिस ने अदालत से उसकी एक दिन की भी कस्टडी नहीं मांगी और उसे सीधे जेल भेज दिया गया। सुबोध की हत्या जिस पिस्तौल से हुई थी, वह अब तक बरामद नहीं हुई है। इस मामले में अहम सबूत है जिसके नहीं मिलने पर मुमकिन है कि मामला अदालत में कहीं ठहर नहीं पाए।
यूपी पुलिस का कहना है कि जिस पिस्तौल से सुबोध की हत्या हुई, वह उनकी लाइसेंसी बंदूक थी जिसे नट ने छीनकर उन्हें गोली मार दी थी। शनिवार को पुलिस ने मीडिया के सामने एक ऐसे ‘चश्मदीद गवाह’ को पेश किया, जिसने इंस्पेक्टर पर नट को गोली चलाते देखने का दावा किया है। पुलिस अपने पास ऐसा विडियो होने का दावा कर रही है, जिसमें नट इंस्पेक्टर से बहस करता नजर आता है। हालांकि ऐसा कोई विडियो सामने नहीं आया है जिसमें फायरिंग की घटना रिकॉर्ड हुई हो।
जेल में बंद नट और उसके 6 सहयोगियों का नाम पहली एफआईआर में नहीं है जबकि इंस्पेक्टर पर कुल्हाड़ी से हमला करने वाला शख्स कलुआ अब तक फरार है। इंस्पेक्टर की हत्या के मामले में दर्ज एफआईआर में जिन 14 लोगों को नामजद किया गया है, वे अब तक फरार हैं। इनमें बजरंग दल का सदस्य योगेश राज भी शामिल है। मामले की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) और मैजिस्ट्रेट की जांच चल रही है।