बुलंद मुक़ामात के साकिन तेज़ी से बूढ़े होते हैं, आईनस्टाइन का नज़रिया दरुस्त साबित

दुनिया की इंतिहाई दरुस्त चलने वाली जौहरी घड़ी ने वाज़िह तौर पर साबित करदिया है कि एल़्बर्ट आईनस्टाइन का तक़रीबन सौ साल क़दीम नज़रिये कि ज़माँ , मकां से मरबूत तसव्वुर है । जो शख़्स सतह समुंद्र से जितनी ज़्यादा बुलंदी पर सुकूनत इख़तियार करता है । इस की उम्र में उतनी ही तेज़ रफ़्तार से इज़ाफ़ा होता है ।

आईनस्टाइन का नज़रिया इज़ाफ़त कहता है कि ज़माँ और मकां मुस्तक़िल नहीं हैं जैसा कि रोज़ाना ज़िंदगी से ज़ाहिर होता है । नूर की रफ़्तार का मतलब ये होता है कि वक़्त बुलंदी पर सुकूनत के लिहाज़ से तेज़ रफ़्तार होसकता है । इस का इन्हिसार सफ़र की रफ़्तार पर भी होता है ।

अब मुहक़्क़िक़ीन ने साबित कियाहै कि आईनस्टाईन के नज़रिया की हक़ीक़त बिलकुल दरुस्त है । पहली बार बिलकुल दरुस्त वक़्त बताने वाली जौहरी घड़ी तैय्यार की गई है जो एक सकनड में 3 अरब 70 करोड़ साल का वक़्त बता सकती है । करा अर्ज़ पर तक़रीबन इतने ही अर्सा से हयात का वजूद है ।

जेम्स चुन । वैन चाव‌ और उन के साथीयों ने जिन का ताल्लुक़ अमेरीकी क़ौमी इदारा बराए मयारात-ओ-टैक्नालोजी बोल्डर , कोलोरैडो से है पता चलाया है कि जब ऐसी दो घड़ीयों को सतह समुंद्र की बुलंदी से सिर्फ एक फ़ीट बुलंदी पर रखा गया तो उन्हों ने प‌ता चिल्लाया कि वक़्त दरहक़ीक़त बुलंदी पर ज़्यादा तेज़ रफ़्तार से गुज़रता है ।

बिलकुल आईनस्टाईन के नज़रिया के मुताबिक़ इन बिलकुल दरुस्त वक़्त बताने वाली घड़ीयों से इन्किशाफ़ हुआ कि क़ुव्वत जाज़िबा ज़मीन की कशिश-ए-सिक़ल भी मुतास्सिर करती है । चुनांचे घड़ी को सतह ज़मीन से क़रीब रखा जाय तो ये बुलंदी पर रखी हुई घड़ी की बनिस्बत सुस्त रफ़्तार होजाती है ।

चाव‌ ने कहा कि जौहरी घड़ीयों का इस तहक़ीक़ में इस्तेमाल एक बर्क़ी मैदान में फंसी हुई एलमोनियम की अशीया के नन्हे मंे अरताशात की बुनियाद पर है । ये अरताशात इसी फ़रीकोइनी के दायरा में होते हैं जो बालाए बनशफ़ई नूर की होती है । इस का पता लेज़र शुवाओं से लगाया जा सकता है ।इस का मतलब ये है कि जौहरी घड़ियां और बस्री घड़ियां इतनी दरुस्त होती हैं कि एक सकनड के अरबवें हिस्सा की पैमाइश भी करसकती हैं ।

इस का मतलब ये है कि ये घड़ियां सतह ज़मीन से बुलंदी के मुताबिक़ दिक़्क़त गुज़ारती हैं । सतह ज़मीन से हर फुट की बुलंदी पर घड़ीयों ने इन्किशाफ़ किया कि सुकूनत रखने वाले शख़्स की मुद्दते हयणत अगर 79 साल फ़र्ज़ की जाय तो इस की ज़िंदगी तक़रीबन एक सकनड 90 अरबवें हिस्सा की हद तक तेज़ रफ़्तार होजाती है ।

साईंसदानों ने ये भी साबित किया कि जब जौहरी घड़ीयों का मुक़ाम इस तरह तबदील किया गया कि वो ख़ला में सफ़र की नक़्क़ाली करसके तो वक़्त की रफ़्तार में सुस्ती पैदा होगई । आईनस्टाइन के नज़रिया इज़ाफ़त के मुताबिक़ ऐसा ही होना चाहीए