बूचड़खाने पर प्रतिबंध से कानपुर चमड़ा उद्योग बर्बादी के कगार पर

कानपूर: कानपूर शहर को उत्तरी भारत का कभी मैनचेस्टर माना जाता था। यहाँ कभी देश की बड़ी और शानदार कपड़े और यार्न मिल्स हुआ करती थीं, वो तो अब रहा नहीं, लेकिन यहाँ बनने वाला चमड़ा ज़रूर कानपुर शहर का नाम पूरी दुनिया में मशहूर करता रहा है, लेकिन मौजूदा स्थिति और नई सरकार द्वारा बूचड़खाने पर प्रतिबंध की वजह से अब यह भी बंद होने की कगार पर है।

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न्यूज़ नेटवर्क समूह न्यूज़ 18 के मुताबिक़ राज्य में जिस तरह से बूचड़खाने पर कार्यवाही की जा रही है, इससे चमड़ा कारोबार गोशत न मिलने की वजह से पूरी तरह से बर्बादी के कगार पर पहुंच चुका है।

कानपुर शहर के जाज मऊ क्षेत्र में कच्चे चमड़े बनाने से लेकर चमड़े से बनने वाली सभी वस्तुओं को बनाने की छोटी और बड़ी सैकड़ों कारखाने हैं, जहां से दुनिया भर में सप्लाई का काम किया जाता है, कानपुर के चमड़ों की मांग पूरी दुनियां भर अधिक है।

गौरतलब है कि पहले से ही एनजीटी से गंगा को दूषित करने के आरोप में ट्रेनरीज़ को सील किए जाने से चमड़ा कारोबार काफी प्रभावित था।लेकिन मौजूदा सरकार द्वारा बूचड़खाने पर प्रतिबंध के फैसले के बाद से बिल्कुल ही बंद हो गया है और कारोबारी परेशान हैं।कानपुर शहर से मौजूदा भाजपा विधायक सतीश महाना को सरकार ने कैबिनेट मंत्री बनाने के साथ ही इंडसट्रियल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी भी सौंपी है।

लेकिन चमड़ा कारोबारियों का कहना है कि जल्द ही जाज मऊ क्षेत्र से चमड़ा ट्रेनरीज़ को स्थानांतरित करने पर कानपुर के चमड़ा व्यापार पर बड़ा असर पड़ेगा और इसका असर देश की आर्थिक स्थिति पर भी दिखेगा। साथ ही वर्तमान में चमड़ा कारोबार से जुड़े शहर के हजारों परिवार भी काफी प्रभावित हुए हैं।