मुंबई
सदर जनतादल मुत्तहदा शरद यादव का मुतनाज़ा रिमार्क
जनतादल मुत्तहदा के सदर शरद यादव ने आज बताया कि मुल्क के बावक़ार पद्म एवार्ड्स सिर्फ़ बददियानत और समाज के आला ज़ातों को दिए गए हैं और सोशलिस्ट नज़रियात के हामिल अफ़राद से कहा कि इस तरह के एज़ाज़ को ठुकरा दें। उन के इस रिमार्कस से एक ज़बरदस्त तनाज़ा पैदा होसकता है।
कल शाम यहां एक सीनियर सोशलिस्ट लीडर की तहनीती तक़रीब को मुख़ातब करते हुए शरद यादव ने कहा कि तमाम समाज वादीयों (सोशलिस़्टों) को चाहिए कि पद्मश्री और पद्म भूषण एवार्ड्स ठुकरा दें (इसे लात मारना चाहिए) क्योंकि ये एवार्ड्स सिर्फ़ बददियानत अफ़राद (बेईमान) और समाज के आला ज़ातों को अता किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि जारिया साल पद्म ऐवार्ड याफ़ता अफ़राद की फ़हरिस्त में एक भी दलित, आदि वासीया किसान को शामिल नहीं किया गया। मज़कूरा तक़रीब के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए मिस्टर शरद यादव ने अपने बयान पर क़ायम रहते हुए बताया कि मुझे जो कहना था सौ मैंने कह दिया।
उन्होंने कहा कि जारिया साल की फ़हरिस्त में एक भी दलित, आदि वासी और किसान का नाम शामिल नहीं किया गया और ये गुज़िश्ता 68 साल में पहली मर्तबा हुआ है। क़ब्लअज़ीं शरद यादव ने रंगत की बुनियाद पर इमतियाज़ात के बारे में इज़हार-ए-ख़्याल करते हुए पार्लियामेंट में जुनूबी हिंद की ख़वातीन के हुस्न-ओ-जमाल की तारीफ़ की थी जिस पर एक तनाज़ा खड़ा होगया था।