बेकूसूर मुस्लिम क़ैदी के साथ इंसाफ़ का मुतालिबा :मजलिस उलेमा ज़ाकीरिन

मजलिस उलेमा ए ज़ाकीरिन ने अपने एक सहाफ़ती बयान में कहा कि जनाब सैयद अहमद काज़मी सीनीयर जर्नलिस्ट हैं । उमूमन सीनीयर जर्नलिस्ट के मुताल्लिक़ सहाफ़त के मैदान में ये तय‌ शूदा नज़रिया है सीनीयर जर्नलिस्ट काबिल-ए-एतिमाद और ज़िम्मेदार हुआ करता है लेकिन इस वक़्त हमारे हिंदूस्तान में सैयद मुहम्मद अहमद काज़मी को उन की सीनयारीटी का लिहाज़ किए बगै़र दिल्ली की पुलिस ने गिरफ़्तार करलिया है , किसी भी बेकुसूर इंसान को गिरफ़्तार करना ,ख़ाह वो इंसान मुस्लमान हो या ग़ैर मुस्लिम इंसानियत पर ज़ुलम करना है और फिर ये बात मज़ीद काबिल-ए-मुज़म्मत होजाती है जबकि ऐसी गिरफ़्तारी इंसानियत दुश्मन बदनाम ज़माना इसराईली तंज़ीम के इशारा पर होती है ।

अफ़सोस कि हमारे हिंदूस्तान में जिस तरह मक्का मस्जिद ,मालीगोंव‌ और अजमेर शरीफ़ वग़ैरा में बेकुसूर मुस्लमान गिरफ़्तार किए गए इसी तरह बेकुसूर-ओ-बेख़ता काज़मी को गिरफ़्तार किया गया है ।

हम रियास्ती और मर्कज़ी हुकूमत से दर्द मंदाना अपील करते हैं कि अब इस तरह के ज़ालिमाना खेलों को ख़त्म‌ करदें और अदल-ओ-इंसाफ़ के रास्ता को इख़तियार करें ताकि आज़ाद दुनिया में हिंदूस्तान की बदनामी ख़त्म होजाए और बेकुसूर गिरफ़्तार अफ़राद की फ़र्याद बंद होसके ।