दहशतगर्द के नाम पर बेगुनाह मुसलमानों की गिरफ्तारी पर मर्कज़ी हुकूमत ने सख्त रुख अपनाया है। मरकज़ी वज़ीर ए दाखिला सुशील कुमार शिंदे ने सभी रियासतों के वज़ीर ए आला से कहा है कि वे इस बात की यकीन दहानी करें कि दहशत के नाम पर किसी बेगुनाह मुस्लिम नौजवान को हिरासत में नहीं लिया जाए।
मुल्क के सभी वज़ीर ए अला को लिखे खत में शिंदे ने कहा, ‘मरकज़ी हुकूमत को कई शिकायतें मिली हैं कि कुछ एजेंसियां बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को परेशान कर रही हैं।’
शिकायतों के मुताबिक कुछ मुस्लिम नौजवानो को बेवजह निशाना बनाया गया, साथ ही बुनियादी हुकूक से महरूम किया गया। हालांकि शिंदे ने साफ किया कि दहशतगर्द के खिलाफ लड़ाई में हुकूमत कोई कोताही नहीं बरतेगी।
शिंदे ने रियासती हुक्मारान से कहा कि, ‘वे दहशतगर्द से मुताल्लिक मुकदमे की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने की सिम्त में कदम उठाएं। सुरक्षा एजेंसियां फिर्कावाराना और सामाजी तालमेल की तरफ नरम रुख अपनाएं। साथ ही दहशहतगर्द के लिए कठोर कदम उठाने से बिल्कुल नहीं हिचके।’
शिंदे ने कहा कि जिन पुलिस अफसरों ने अपने फर्ज की खिलाफवर्जी करते हुए बेगुनाह मुसलमानों को गिरफ्तार किया उनके खिलाफ जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई की जाए।
इधर, बीजेपी का इल्ज़ाम है कि शिंदे ने तमाम वज़ीर ए आला को लिखे खत में एक खास मज़हब के लोगों को परेशान नहीं करने की हिदायत देकर आइन की खिलाफवर्जी की है। इस मुतनाजा खत से खफा बीजेपी अब शिंदे को बर्खास्त करने की मांग कर रही है।
शिंदे इससे पहले संघ परिवार पर दहशतगर्दी कैंप चलाने का इल्ज़ाम लगाकर भी पार्टी के निशाने पर रह चुके हैं। अब उन्होंने सभी वज़ीर ए आला से यह यकीन दहानी करने की दर्खास्त किये है कि कोई भी बेकसूर मुस्लिम नौजवान दहशतगर्द के नाम पर गलत तरीके से हिरासत में न लिया जाए।
तमाम वज़ीर ए आला को लिखे एक खत में शिंदे ने कहा है कि कुछ अक्लीयती नौजवानो को लग रहा है कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया और उन्हें उनके बुनियादी हुकूक से मरहूम किया गया। शिंदे के इस खत ने बीजेपी को फिर से आगबबूला कर दिया है।
पार्टी के तर्जुमान राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि मुनासिब होता कि वज़ीर ए दाखिला एक खास फिर्के का जिक्र करने की बजाए यह लिखते कि हिंदुस्तानी नौजवानो को दहशतगर्द के नाम पर गलत तरीके से हिरासत में न लिया जाए।
उन्होंने कहा कि एक फिर्के का जिक्र कर शिंदे वज़ीर का ओहदा संभालते वक्त लिये गये हलफ को भी भूल गए। वज़ीर किसी खास ज़ात व मज़हब के लिए शपथ नही लेते हैं।